Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 03:15 PM
ध्यान लगाने से आप की विचार शक्ति और स्मरण शक्ति बढ़ती है। ध्यान से बुराइयां और व्यर्थ की परेशानियां नहीं होतीं। ध्यान शरीर को सजग-स्वस्थ, मन को सबल-शांत तथा बुद्धि को जागरूक करता है।
ध्यान लगाने से आप की विचार शक्ति और स्मरण शक्ति बढ़ती है। ध्यान से बुराइयां और व्यर्थ की परेशानियां नहीं होतीं। ध्यान शरीर को सजग-स्वस्थ, मन को सबल-शांत तथा बुद्धि को जागरूक करता है। —स्वामी ज्ञानानंद
जलते दीपक की ज्योति की गति ऊंचाई की तरफ होती है। इसी तरह मनुष्य की सोच ऊंची होनी चाहिए। ऐसी सोच जीवन का आनंद है। सादा जीवन-ऊंचे विचार भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्परा है। —स्वामी ज्ञानानंद
सत्संग संकीर्तन कथा के बल पर ही रुक्मणि ने श्री कृष्ण भगवान को प्राप्त किया था।
सत्संग संकीर्तन में आकर कष्ट क्लेश मिट जाते हैं और मन को शांति प्राप्त होती है। —श्री रविंद्राचार्य—अमरनाथ भल्ला, लुधियाना
सामग्री आवश्यक नहीं, प्रेमपूर्वक बोलकर भी अतिथि का सत्कार करना पर्याप्त है। —हितोपदेश
यहां हर किसी को दरारों में झांकने की आदत है, दरवाजे खोल दो तो कोई पूछने नहीं आएगा।
हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आपको कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी प्रशंसा हो या न हो।
इस बात में भी कितनी गहराई है, दुनिया में सिर्फ ‘मैं’ की लड़ाई है।
अच्छी पुस्तकें और सच्चे दिल हर कोई नहीं पढ़ सकता।
खुद को खराब कहने की हिम्मत नहीं है इसीलिए तो लोग कहते हैं ‘जमाना खराब है’।
इतने खुश रहो कि आपको देख दूसरे भी खुश हो जाएं।
एक आईना कुछ ऐसा बना दो जो चेहरा नहीं, नीयत दिखा दे।
विश्वास, वचन, रिश्ते और हृदय, इनके टूटने की आवाज नहीं होती लेकिन आदमी जरूर टूट जाता है।
जैसा मन हो वैसा मंजर होता है, मौसम तो इंसान के अंदर होता है। लफ्ज ही तो होते हैं इंसान का आईना, सूरत का क्या है वह उम्र और हालात से बदल ही जाती है। —जगजीत सिंह भाटिया, नूरपुरबेदी रोपड़
अपनी कमजोरियां पुरुषार्थ को कठिन बना देती हैं।
मन को वश में कर लो और जो भी काम कर रहे हो उसको ध्यान से मन लगाकर करो। खंडित मन से मंदिर में न जाएं। पूरी श्रद्धा से मंदिर जाओगे तो लाभ होगा। —सुधांशु महाराज