‘मेघालय’ और ‘नागालैंड’ की दिलचस्प चुनावी ‘झलकियां’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Feb, 2018 01:10 AM

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गत 18 फरवरी को उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों के लिए 90 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ और अब 27 फरवरी को उत्तर-पूर्व के ही 2 अन्य राज्यों मेघालय और नागालैंड में मतदान होने जा रहा है। यहां पेश हैं इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों...

गत 18 फरवरी को उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों के लिए 90 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ और अब 27 फरवरी को उत्तर-पूर्व के ही 2 अन्य राज्यों मेघालय और नागालैंड में मतदान होने जा रहा है। यहां पेश हैं इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों की कुछ दिलचस्प झलकियां : 

मेघालय 
राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक होने के कारण उन्हें लुभाने के लिए भाजपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस दोनों ने ही गरीबी रेखा से नीचे वाली महिलाओं को मुफ्त ‘सैनेटरी पैड’ देने का वायदा किया है। राज्य के 18.3 लाख मतदाताओं में 32,000 नए मतदाता जुड़े हैं। राज्य में कुल 3082 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जिनमें से मात्र 50 प्रतिशत केंद्रों पर ही बिजली की सुविधा उपलब्ध है जिस कारण लोगों द्वारा सुचारू मतदान होने पर आशंका व्यक्त की जा रही है। राज्य में 60 मतदान केंद्रों पर केवल महिला स्टाफ ही तैनात होगा तथा वहां समूचा प्रबंध महिलाएं ही करेंगी। 

आर्थिक तंगी के शिकार इस राज्य में चुनाव लड़ रहे 372 उम्मीदवारों में से 152 उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनमें एन.पी.पी. के उम्मीदवार ‘नगातलंग धर’ सर्वाधिक अमीर हैं तथा उन्होंने अपनी चल और अचल सम्पत्ति 295 करोड़ रुपए बताई है। उनके बाद यू.डी.पी. के मेतबा लिंगदोह 87 करोड़ रुपए तथा पी.डी.एफ. के लांबोकलांग माइलीम 49 करोड़ रुपए सम्पत्ति के मालिक हैं। एन.पी.पी. के 65 प्रतिशत, कांग्रेस के 58 प्रतिशत और यू.डी.पी. के 54 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं। 25 उम्मीदवारों अर्थात 7 प्रतिशत के विरुद्ध आपराधिक केस हैं जिनमें से 3 पर बलात्कार और यौन शोषण आदि के आरोप हैं। 151 उम्मीदवार मात्र पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक ही पढ़े हैं। 

नागालैंड
राज्य में इस समय 3 पार्टियों नागालैंड पीपुल्स फ्रंट, भाजपा और जद (यू) के गठबंधन की सरकार है। राज्य में नशाबंदी के बावजूद विभिन्न दलों द्वारा लोगों के लिए दावतों में खूब शराब परोसी जा रही है तथा वोटों की खरीद का सिलसिला भी जारी है। लोग इसे पांच वर्ष के बाद मिलने वाला बोनस ही समझते हैं और एक वोट के लिए 2-3 हजार रुपए तक दिए जाने की चर्चा है। जब भी चुनाव होते हैं तो नागालैंड के पड़ोसी असम के कार्बी अंगलोंग जिले के बोरलैंगरी-1 गांव में बसे हुए सैंकड़ों नागा परिवारों के सदस्य 8 से 12 घंटों तक की कठिन यात्रा तय करके नागालैंड में अपने पैतृक जिलों में मतदान करने पहुंचते हैं। अधिकांश मतदाता इतनी मशक्कत इसलिए करते हैं क्योंकि चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार प्रत्येक परिवार को 10,000 से 15,000 रुपए तक की रकम पहले ही भेज देते हैं। 

पुरुष प्रधान नागालैंड में 1963 से विधानसभा के चुनाव होते आ रहे हैं लेकिन अभी तक एक भी महिला 60 सदस्यीय सदन के लिए नहीं चुनी गई। यहां तक कि 2013 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं के चुनाव में खड़ी होने को लेकर फसाद भी हो चुके हैं। 2013 के चुनावों में 2 महिलाओं ने नामांकन पत्र भरा था और इस बार 5 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं जिनमें एक निर्दलीय और 4 राजनीतिक दलों से संबंध रखती हैं। कुल 195 उम्मीदवारों में से 114 अर्थात 59 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं और हर उम्मीदवार की औसत सम्पत्ति 3.76 करोड़ रुपए है। 52 उम्मीदवार 8वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं तथा 3 अनपढ़ हैं। कांग्रेस ने शुरू में चुनावों के लिए 23 उम्मीदवारों की घोषणा की थी परंतु बाद में 5 उम्मीदवारों द्वारा नाम वापस ले लेने से अब इसके 18 उम्मीदवार ही रह गए हैं। 

चुनावों के दौरान अब तक कुछ ऐसी दिलचस्पियां इन दोनों राज्यों में देखने को मिली हैं तथा अब देखना यह है कि मतदान के बाद 3 मार्च के चुनाव परिणामों में ऊंट किस करवट बैठता है।—विजय कुमार  

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