प्रातः काल में यह काम करने से घर में नहीं होता नकारात्मक शक्ति का प्रवेश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Feb, 2018 12:07 PM

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वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक कार्य के लिए समय निर्धारित किया गया है। यदि व्यक्ति वास्तु के अनुसार व्यक्ति अपने हर काम को निपुणता से करे तो सफलता उसे कदम चुमने लगती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक कार्य के लिए समय निर्धारित किया गया है। यदि व्यक्ति वास्तु के अनुसार व्यक्ति अपने हर काम को निपुणता से करे तो सफलता उसे कदम चूमने लगती है। कुछ एेसे ही नियमों का वर्णन किया गया है, जिनका संबंध सूर्य से माना जाता है। यदि इन सूर्य नियमों को अपनाया जाए तो इंसान का जीवन सुखमय व शांतिमय हो सकता है। न केवल वास्तु में बल्कि इसके महत्व के बारे में हिंदू शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है। इसके पीछे का कारण सिर्फ कार्य को सफल करना होता है।

 

तो आईए जानें सूर्य से संबंधित उन नियमों के बारे में-

वास्तु शास्त्र व धार्मिक शास्त्रों में सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला ग्रह सूर्य को माना जाता है। इसलिए जरूरी है कि भवन और दिनचर्या की शुरूआत सूर्य के अनुसार ही निर्धारित हो। 

 

रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। इसलिए यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर माना गया है। एेसा करने से हर प्रकार की नकारात्मक शक्ति का नाश होता है।

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प्रातः 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में होता है, इसलिए घर बनवाते समय यह बात ध्यान रखें कि सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में प्रवेश कर सके। इससे घर के सदस्यों में पाॅजिटिवटी का संचार होता है। 


सुबह: 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में विराजमान होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम होता है। क्योंकि रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं, इसलिए यहां सूर्य की रोशनी मिलना बहुत अनिवार्य माना जाता। इससे घर-परिवार के सदस्य सुखी और स्वास्थ्यकर होते हैं।

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दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल (आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इस दिशा में बनवान उत्तम रहता है।


दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए अच्छा रहता है।


सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढ़ने का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए बेहतर माना जाता है।

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सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान भी शयन कक्ष के लिए उपयोगी होता है।


मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। इसलिए इस दिशा व समय को कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
 

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