चंद्रबाबू-भाजपा मेें तल्खी का लाभ लेना चाहते हैं जगन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Feb, 2018 04:58 AM

jagan wants to take advantage of talkhi in chandrababu bjp

चंद्रबाबू और भाजपा के दरम्यान जब से रिश्तों में तल्खी आनी शुरू हुई है, जगन मोहन रैड्डी के तो जैसे अच्छे दिन आ गए हैं। सूत्र बताते हैं कि आयकर व ई.डी. के झमेलों में बेतरह उलझे जगन ने अपने एक खास वफादार के माध्यम से भगवा सिरमौर अमित शाह को संदेशा...

चंद्रबाबू और भाजपा के दरम्यान जब से रिश्तों में तल्खी आनी शुरू हुई है, जगन मोहन रैड्डी के तो जैसे अच्छे दिन आ गए हैं। सूत्र बताते हैं कि आयकर व ई.डी. के झमेलों में बेतरह उलझे जगन ने अपने एक खास वफादार के माध्यम से भगवा सिरमौर अमित शाह को संदेशा भिजवाया कि वह उनसे मिलना चाहते हैं। 

वैसे भी चंद्रबाबू पर अंकुश रखने के लिहाज से जगन का भाजपा के नजदीक दिखना किंचित जरूरी है। सो, इन दोनों के बीच पॉवर पैक्ड मुलाकात हुई। सूत्रों की मानें तो जब जगन सियासत के शाह से मिले तो उन्होंने गुहार लगाई कि सरकारी एजैंसियों से कुछ राहत तो दिलवाइए। मुलाकात खत्म हुई और जगन की अंतहीन मुश्किलों का दौर भी। क्या मजाल जो कोई सरकारी पूछताछ वाले जगन के आसपास भी कदमताल करते दिखें, कहना न होगा कि जगन मोहन को एक फौरी राहत मिल गई, पर सवाल लाख टके का है कि इन दोनों नेताओं के बीच डील क्या हुई? 

सूत्रों की मानें तो जगन ने शाह के समक्ष साफ कर दिया कि उनकी पार्टी का भाजपा के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन (प्री-पोल-अलायंस) नहीं हो सकता क्योंकि इससे जगन के कोर वोट बैंक मुस्लिम और ईसाई उनसे छिटक सकते हैं, सो जगन ने कथित तौर पर भाजपा सिरमौर को यह आश्वासन दिया है कि वह भाजपा से पोस्ट पोल एलायंस के लिए तैयार हैं, पर इसके लिए उनकी एक शर्त है कि भाजपा को चंद्रबाबू नायडू से अपना चुनावी गठबंधन तोडऩा होगा। सियासत के माहिर खिलाड़ी शाह जानते हैं कि 2019 के चुनाव में मोदी के लिए एक-एक सीट कितनी महत्वपूर्ण हो जाएगी, लिहाजा वह चाहते हैं कि जगन व नायडू दोनों ही भगवा रंग में रंगे रहें तो भाजपा की पांचों उंगलियां घी में रहेंगी। 

कमल की नई पार्टी का भविष्य
63 वर्षीय तमिल स्टार कमल हासन की राजनीति में आने की इच्छा वर्षों पुरानी है। मोदी सरकार की चंद नीतियों को लेकर कमल हासन पहले भी सार्वजनिक रूप से केन्द्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। इसी 21 फरवरी को तमिलनाडु के मदुरै में कमल हासन ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘मकाल निधि माइम’ को लांच किया है। कमल ने इस मौके पर अपने पार्टी के झंडे का भी अनावरण किया। इसको लेकर एक प्रख्यात ज्योतिषाचार्य संजय चौधरी ने कई दिलचस्प भविष्यवाणियां की हैं। ज्योतिषाचार्य चौधरी के मुताबिक कमल हासन की पार्टी की राशि कुंभ है और इसके स्वामी शनि 11वें घर में विराजमान हैं, जो एक शुभ लक्षण है। बुध सूर्य के साथ लग्न में है, बुध आदित्य योग बना रहा है जो इस बात का परिचायक है कि इस राजनीतिक पार्टी की उम्र लम्बी है। लग्न में बृहस्पति भी बैठा है जिसके 7वें घर में सूर्य है, जिसका लग्न कर्क है। जो यह बताता है कि कमल की पार्टी किसी राष्ट्रीय पार्टी संभवत: कांग्रेस से चुनावी गठबंधन कर सकती है और इस गठबंधन के 2019 के आम चुनावों में दूरगामी असर देखे जा सकते हैं। 

भाजपा ऑफिस का आधार कनैक्शन
अपने नए चेहरे-मोहरे से लैस कभी वाजपेयी व अडवानी की पार्टी रह चुकी भाजपा नई दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित अपनी 5 मंजिला नई इमारत में शिफ्ट हो गई है। सनद रहे कि इस नई इमारत का शिलान्यास 18 अगस्त 2016 को ही हुआ था और इतने रिकार्ड टाइम में यह इमारत बनकर भी तैयार हो गई और पिछले ही इतवार को मोदी व शाह की जोड़ी ने भाजपा के नए मुख्यालय के शुभारंभ को हरी झंडी दिखा दी। सबसे खास बात तो यह कि भाजपा के इस नए मुख्यालय में प्रवेश करने वाले हर आगंतुक को बाहर रखे एक रजिस्टर में अपना नाम, पता व फोन नम्बर के साथ अपना आधार नम्बर भी लिखना होगा। आधार ङ्क्षलक कराने की एक नई परम्परा की शुरूआत भगवा आगाज के साथ हुई है। मोदी व शाह भाजपा का चेहरा-मोहरा बदलने के साथ ही इसे नए जमाने की नई पार्टी बनाना चाहते हैं, वहीं इसी पार्टी में दकियानूसों की भी कोई कमी नहीं है, जो दावा करते हैं कि चुनावों के ऐन पहले जब-जब भाजपा ने राष्ट्र या प्रदेश स्तर पर अपना मुख्यालय बदला है, चुनावों में उसको मुंह की खानी पड़ी है। हाथ कंगन को आरसी क्या, इसी 3 मार्च को नागालैंड, त्रिपुरा व मेघालय विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वाले हैं, तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। 

सबसे बड़े लिखारी पी.एम.
नरेन्द्र मोदी बड़े-बड़ों को सियासत का ककहरा कंठस्थ कराने का माद्दा रखते हैं। अपनी इमेज मेक ओवर की होड़ में उन्होंने देश के दिग्गज प्रधानमंत्रियों, मसलन नेहरू, इंदिरा और वाजपेयी को भी पीछे छोड़ दिया है। यह बात एक लेखक और अध्येता के तौर पर है। अब मोदी देश के सबसे ज्यादा पुस्तकें लिखने व उन्हें सम्पादित करने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं। जहां मोदी की कुल 14 पुस्तकें प्रकाश में आई हैं, वहीं वाजपेयी की 11, चौधरी चरण सिंह की 8, चंद्रशेखर की 5, इंदिरा गांधी की 4, पंडित नेहरू की 3, नरसिम्हा राव की 3, मोरारजी देसाई की 2 और मनमोहन सिंह की 1 पुस्तक है। वाजपेयी की 11 पुस्तकों में 2 कविता संग्रह भी हैं, ‘क्या खोया, क्या पाया’ और ‘मेरी 51 कविताएं’ तो वहीं मोदी की पुस्तकों में उनका कविता संग्रह, डायरी अंश और अन्य पुस्तकें सम्मिलित हैं। 

जया पर उमड़ी ममता
245 सदस्यों वाली राज्यसभा से इस अप्रैल कोई 59 सदस्यों की मियाद खत्म होने वाली है। वे रिटायर हो जाएंगे और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को फिर से परवान चढ़ाएंगे। सबसे ज्यादा दमखम के साथ भाजपा ऊपरी सदन में वापसी करेगी तो सबसे ज्यादा नुक्सान समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ेगा। पर इन तमाम सियासी दाव-पेंचों के बावजूद सपा के 3 नेता ऐसे हैं जो भरोसे से कह रहे हैं कि सदन में उनकी वापसी होगी। यही दावा नरेश अग्रवाल भी कर रहे हैं और सपा के ही किरणमयी नंदा भी। रिटायर तो सपा की जया बच्चन भी हो रही हैं, पर सुना जा रहा है कि इस दफे वह यू.पी. से नहीं बल्कि बंगाल से राज्यसभा में आएंगी और इस बाबत उन्हें ममता दीदी से पूर्ण आश्वासन भी प्राप्त हो चुका है। तृणमूल वाले भी जया बच्चन को एक ‘बंगाली आयकन’ बताने से पीछे नहीं हट रहे। सूत्र बताते हैं कि शाह की ओर से जिन अन्य लोगों को राज्यसभा का आश्वासन प्राप्त हुआ है उनमें से राजनाथ सिंह के एक राजनीतिक सलाहकार और उनके ज्योतिषी सुधांशु त्रिवेदी हैं तो दूसरा नाम शाजिया इल्मी का सुना जा रहा है, जो ऊपरी सदन में ‘आप’ के संजय सिंह की बोलती बंद कराने का माद्दा रखती हैं।-त्रिदीब रमण 
                            

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