Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Feb, 2018 04:17 PM
आज हवा प्यासे कौवे की कां कां का दर्द, मछली की तड़प, सूख रहे पेड़ पौधों की चीख, बता रही हो पानी मानव जाति का ही नहीं, पूरी सृष्टि का...
आज हवा प्यासे कौवे की कां कां का दर्द,
मछली की तड़प, सूख रहे पेड़ पौधों की चीख,
बता रही हो पानी मानव जाति का ही नहीं,
पूरी सृष्टि का सिरजनहार।
वक्त के Climate Change की
मार पड़ी ऐसी पानी पर,
बना रख दिया नल, कुएं, तालाबों को किताबों में इतिहास।
कभी जो पानी मीठा, आज जहरी क्यों
लग रहा Deepak Bathian वाले को।
लगातार बढ़ रही गिरावट बारिश और जलस्तर में,
बढ़ा रही हो दूरियां भाईचारे, संस्कृति और सभ्यता से।
आओ पानी को व्यर्थ ना गवाएं,
धरती मां को फिर से स्वर्ग बनाएं।
दीपक कौशल
9891949192