कारोबारियों को भरोसा PNB घोटाले से नहीं घटेगी हीरा कारोबार की चमक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Feb, 2018 05:46 PM

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सूरत के हीरा उद्योग को उम्मीद है कि पी.एन.बी. में 11,400 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद यदि बैंक कर्ज देने के नियम सख्त करते हैं तो उनके कारोबार पर इसका प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।

सूरतः सूरत के हीरा उद्योग को उम्मीद है कि पी.एन.बी. में 11,400 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद यदि बैंक कर्ज देने के नियम सख्त करते हैं तो उनके कारोबार पर इसका प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। 

उद्योग के प्रतिनिधियों में कहा कि इस धोखाधड़ी के बावजूद हीरों को तराशने के काम में लगे लघु और मझोले उपक्रमों के लिए बैंक कर्ज बढ़ेगा। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवद्र्धन परिषद (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय चेयरमैन दिनेश नवादिया ने कहा कि सूरत में 6,000 के करीब हीरा प्रसंस्करण इकाइयों में से सिर्फ 100 बड़ी कंपनियों को बैंकों से कर्ज मिलता है। लघु एवं मझोले उपक्रमों को निजी फाइनेंसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।       

उन्होंने कहा कि सूरत ही हीरा प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा साख पत्रों (एलओयू) का व्यापक इस्तेमाल नहीं किया जाता। नवादिया ने मोदी और चौकसी की कंपनियों पर कार्रवाई का स्वागत किया। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों ने पी.एन.बी. की मुंबई शाखा से धोखाधड़ी से साख पत्र हासिल कर अन्य बैंकों की विदेशी शाखाओं से कर्ज लिया। उन्होंने कहा कि बैंकों से मिलने वाले कुल कर्ज का 90 प्रतिशत हिस्सा बड़ी हीरा इकाइयों को जाता है। उन्होंने बताया कि हर साल सूरत की इकाइयों द्वारा एक लाख करोड़ रुपए के बिना तराशे हीरों का आयात किया जाता है वहीं 1,58,000 करोड़ रुपए के तराशे हीरों का निर्यात किया जाता है।       

सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूभाई गुजराती ने दावा किया कि बड़ी कंपनियों की तुलना में एसएमई की ओर से डिफॉल्ट काफी कम होता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस घोटाले से पहले उद्योग का कोई कारोबारी एलओयू के बारे में जानता तक नहीं था। मुझे ही नही पता यह कैसे होता है।’’ गुजराती ने कहा कि यह तय है कि अब बैंक कर्ज देने से पहले अधिक कड़ाई से जांच पड़ताल करेंगे। एक अन्य हीरा कारोबारी प्रवीण नानावटी ने कहा कि धोखाधड़ी सामने आने के बाद जो कार्रवाई हुई है वह भविष्य की दृष्टि से अच्छी है। उन्होंने कहा कि सूरत में जितनी इकाइयां हैं उनमें से 10 फीसदी से भी कम बैंक कर्ज पर निर्भर हैं। 

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