..तो क्या हमाम में सब नंगे!

Edited By ,Updated: 01 Mar, 2015 05:44 PM

article

मध्यप्रदेश की सियासत में यूं तो रह-रह कर बवंडर उठता ही रहा है, मगर ताजे झंझावात में सियासतदानों के चेहरे से जब नकाब उठा तो हर किसी की जुबान पर एक ही बात जुंबिश करने लगी है कि हमाम में सब नंगे हैं!

भोपाल: मध्यप्रदेश की सियासत में यूं तो रह-रह कर बवंडर उठता ही रहा है, मगर ताजे झंझावात में सियासतदानों के चेहरे से जब नकाब उठा तो हर किसी की जुबान पर एक ही बात जुंबिश करने लगी है कि हमाम में सब नंगे हैं! पहले सत्ताधारी दल भाजपा के पूर्व मंत्री और पदाधिकारी का जेल जाना, फिर राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ प्रकरण दर्ज होना और अब कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व पूर्व विधानसभाध्यक्ष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होना इस बात के प्रमाण हैं कि सत्तापक्ष हो या विपक्ष, कोई किसी से कम नहीं। एक चले डाल-डाल तो दूसरा पात-पात।

राज्य की सियासत में इन दिनों गलत तरीके से नौकरियां दिलाने का मुद्दा छाया हुआ है। भाजपा से जुड़े लोगों पर जहां व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) में काबिल छात्रों का हक मारकर नाकाबिल लोगों को रेबड़ी की तरह नौकरियां बांटने का आरोप है, तो वहीं कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह व विधानसभाध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी पर विधानसभा में 17 लोगों को गलत तरीके से नौकरी देने का प्रकरण दर्ज हुआ है। 

राज्य में पिछले माह कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री सिंह द्वारा व्यापमं परीक्षा की कथित एक्सेलशीट जारी किए जाने से सियासत में उफान आया। सिंह ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में हुई धांधली में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह की संलिप्तता का आरोप मढ़ डाला। जांच एजेंसी को दस्तावेज भी सौंप आए। कांग्रेस ने सत्तापक्ष को विधानसभा में घेरने की भरसक कोशिश की। विधानसभा में हुए हंगामे का ही नतीजा रहा कि विधानसभा का बजट सत्र एक माह पहले ही खत्म करना पड़ा। 

एक तरफ कांग्रेस आरोप लगाकर मुख्यमंत्री को घेरने में लगी है तो दूसरी ओर अब कांग्रेस नेता ही आरोपों से घिर गए हैं। दिग्विजय, तिवारी सहित 19 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ है। राज्य के दोनों प्रमुख दल एक-दूसरे पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे हैं तो दूसरी ओर राज्यपाल रामनरेश यादव भी वन रक्षक भर्ती मामले में फंस गए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दो युवकों की नौकरी की सिफारिश की थी। उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हो चुकी है। उनके बेटे के खिलाफ भी मामला दर्ज है। पुलिस महामहिम के बेटे को तलाश रही है।

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि प्रदेश की सत्ता जिस किसी दल ने संभाली है, उसने पुराने रिकार्ड तोड़े हैं। यही कारण है कि देर से ही सही, सारी गड़बडिय़ां धीरे-धीरे सामने आ ही जाएंगी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह पर जब चुरहट लाटरी घोटले का आरोप लगा तो उनकी सत्ता गई। इसी तरह कांग्रेस काल में कई मंत्रियों को पद गंवाना पड़ा था। इस समय सत्तारूढ़ दल के एक पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा जेल में हैं।

वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने दिग्विजय के खिलाफ मामला दर्ज कराने को सरकार द्वारा की गई बदले की कार्रवाई करार दिया है। उनका कहना है कि दिग्विजय ने जब मुख्यमंत्री की ‘असलियत’ उजागर करने का प्रयास किया तो सरकार यह सहन न कर सकी। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस इस तरह की गीदड़ भबकियों से डरने वाली नहीं है। सुशासन का चोला ओढ़कर भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी।’ 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!