बिना बिके मकानों का अंबार

Edited By ,Updated: 05 Sep, 2016 01:37 PM

real estate developers lias foras

रियल एस्टेट डेवलपर्स के पास अनबिके मकान व दुकान काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पूरे उद्योग में अप्रैल-जून 2016 की तिमाही के आखिर में 1.2 अरब वर्गफुट बिना बिका स्टॉक था।

मुंबईः रियल एस्टेट डेवलपर्स के पास अनबिके मकान व दुकान काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पूरे उद्योग में अप्रैल-जून 2016 की तिमाही के आखिर में 1.2 अरब वर्गफुट बिना बिका स्टॉक था। यह जानकारी रियल एस्टेट कंसल्टेंसी लियासेस फोरास की तरफ से किए गए सर्वेक्षण से मिली। जून तिमाही में अनबिके मकान व दुकान क्रमिक आधार पर दो फीसदी बढ़े जबकि साल दर साल के आधार पर इसमें 17 फीसदी का इजाफा हुआ।

 

5,000 रुपए प्रति वर्गफुट की औसत बिक्री कीमत मानते हुए अनबिके मकान व दुकान की कुल कीमत 6 लाख करोड़ रुपए बैठती है। लियासेस फोरास के प्रबंध निदेशक पंकज कपूर ने कहा, चूंकि बिक्री में बढ़त की रफ्तार लगातार नई पेशकश से पीछे है, लिहाजा अनबिके मकान व दुकान में बढ़त जारी है। हाल के समय में हमने नई परियोजनाओं की पेशकश में सुस्ती देखी है, लेकिन मौजूदा बिक्री को देखते हुए उद्योग को अनबिके मकान व दुकान को बेचने में करीब तीन साल लग जाएंगे।

 

देश के 25 अग्रणी सूचीबद्ध रियल एस्टेट डेवलपर्स की कहानी अलग नहीं है। उनका बिना बिका स्टॉक मार्च 2016 के आखिर में अब तक के सर्वोच्च स्तर 97,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो साल दर साल के हिसाब से 6.7 फीसदी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2016 के राजस्व के लिहाज से देखें तो डेवलपरों को अनबिके मकान व दुकान बेचने में ढाई साल से ज्यादा लग जाएंगे।

 

बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल कंपनियों की शुद्ध बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 38,300 करोड़ रुपए रही, जो साल दर साल के हिसाब से 7.3 फीसदी ज्यादा है। कुल मिलाकर नमूने में शामिल 25 में से 23 कंपनियों के अनबिके मकान व दुकान में पिछले वित्त वर्ष के दौरान बढ़ौतरी देखने को मिली। इनमें से 13 कंपनियों के अनबिके मकान व दुकान पिछले साल उनके राजस्व के मुकाबले तेज गति से आगे बढ़ी।

यह विश्लेषण अग्रणी सूचीबद्ध रियल एस्टेट डेवलपर्स के 10 साल के वित्तीय हालात पर आधारित है। 

 

कंपनियां हर वित्त वर्ष के आखिर में अपने बैलेंस शीट में अनबिके मकान व दुकान का लेखाजोखा पेश करती हैं। नमूने में शामिल कंपनियों में डीएलएफ, यूनिटेक, प्रेस्टीज एस्टेट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, महिंद्रा लाइफ, पेनिनसुला लैंड, इंडियाबुल्स रियल एस्टेट, ओबेरॉय रियल्टी, हबटाउन, ओमैक्स, एचडीआईएल, फीनिक्स मिल्स, ब्रिगेड एंटरप्राइजेज, कोल्ते पाटिल और शोभा शामिल हैं।

 

वैयक्तिक कंपनी की बात करें तो डीएलएफ के अनबिके मकान व दुकान मार्च के आखिर में सबसे ज्यादा यानी करीब 17,500 करोड़ रुपए की थी, जो इसकी दो साल की बिक्री के बराबर है। इसके बाद एचडीआईएल (13,600 करोड़ रुपए) और इंडियाबुल्स रियल एस्टेट (5400 करोड़ रुपए) का स्थान है। अनबिके मकान व दुकान के बड़े हिस्से की फंडिंग कर्ज के जरिए हुई है। नमूने में शामिल कंपनियों का संयुक्त कर्ज पिछले वित्त वर्ष में साल दर साल के हिसाब से 15 फीसदी बढ़कर 76,600 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष के आखिर में सकल आधार पर उद्योग का कर्ज-इक्विटी अनुपात सात साल के उच्च स्तर 0.8 गुने पर पहुंच गया।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!