राजनीतिक दलों ने शुरू की चुनावों के लिए तैयारी

Edited By ,Updated: 30 Jan, 2015 11:41 PM

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चुनाव आयोग द्वारा आज या कल में नगर परिषद के चुनावों की घोषणा के समाचार के साथ ही राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों ने तैयारी शुरू कर दी है।

अबोहर (भारद्वाज): चुनाव आयोग द्वारा आज या कल में नगर परिषद के चुनावों की घोषणा के समाचार के साथ ही राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों ने तैयारी शुरू कर दी है। वैसे तो राजनीतिक दलों व नगर वासियों के लिए ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन वर्तमान हालत में अबोहर के लिए ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि नगर की बिगड़ी सीवरेज व्यवस्था, स्वच्छ पेयजल व सड़कों को लेकर पूरी जिम्मेदारी नगर परिषद की बनती है। 

स्थानीय नगर परिषद के पूर्व में 31 वार्ड थे जो बढ़कर 33 हो गए हैं तथा इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा 96 बूथ बनाए गए हैं। इसमें 8 वार्ड बहुत ही संवेदनशील बनाए गए हैं जिनमें वार्ड नं 5, 7, 11, 17, 22, 23, 25 व 28 शामिल हैं। 31 दिसंबर तक बने नए मतदाताओं को मिलाकर मतदाताओं की संख्या 97 हजार 331 हो गई है। इसमें 52150 पुरुष तथा 45181 महिलाएं शामिल हैं जो अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे।
 
स्थानीय स्तर पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस व अकाली-भाजपा गठबंधन के मध्य होगा, लेकिन इसमें निर्दलीय उम्मीदवारों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। कांग्रेस पार्टी से स्थानीय लोगों को भारी आशाएं हैं क्योंकि 2003 से 2008 तक नगर परिषद पर कांग्रेस काबिज थी इससे पूर्व नगर परिषद पर अकाली -भाजपा गठबंधन का बोर्ड सत्तासीन था। 
 
कांग्रेस द्वारा नगर परिषद में सत्ता संभालने के समय नगर की स्थिति काफी नाजुक थी। स्थान-स्थान पर गंदगी के ढेर, सड़कों पर गड्ढे तथा पूरे नगर में सीवरेज का दूषित पानी ओवरफ्लो होकर लोगों को परेशान कर रहा था। स्ट्रीट लाइट की हालत भी कुछ ऐसी थी। पूरा शहर रात को ब्लैकआऊट की स्थिति में पहुंच जाता था। 
 
जब वर्ष 2003 में नगर परिषद में कांग्रेस सत्तारूढ़ हुई तो लोगों को विधायक सुनील जाखड़ से काफी आशाएं थीं। इस कार्यकाल में सुनील जाखड़ के प्रयासों से नगर रहने लायक बन गया था और जो बदहाली अकाली-भाजपा गठबंधन में नगर को दी थी उन सभी से छुटकारा दिला दिया गया था। वर्ष 2008 के नगर परिषद चुनावों में भाजपा-अकाली गठबंधन को भारी बहुमत मिला और युवा नेता ने इसकी कमान संभाली। लोगों को आशा बन गई थी कि प्रदेश में भी अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार की है और नगर परिषद में भी अकाली-भाजपा गठबंधन सत्तारूढ़ हो गया है। 
 
प्रदेश में स्थानीय निकाय विभाग भी भाजपा के पास था इसलिए नगर वासी यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि नगर की हालत सुधर जाएगी, लेकिन भाजपा कई गुटों में बंटी होने के कारण उनके अपने ही पार्षद नगर परिषद अध्यक्ष के विरुद्ध धरना लगाकर बैठे रहे, जिसके कारण नगर परिषद का विकास नहीं हो सका और नगर की हालत बद से बदतर हो गई। आज भी भाजपा की वही हालत है वह कई गुटों में बंटी हुई है और इसके चलते चुनावों में क्या होगा यह तो सर्वविदित है। 
 
अब बात करें भाजपा के सहयोगी अकाली पार्टी की, अगर गठबंधन चुनाव लड़ता है तो अब के चुनावों में उन्हें पिछली बार से अधिक सीटें मिलेंगी क्योंकि उन्होंने विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार के बैनर तले नगर की बिगड़ी सीवरेज व्यवस्था को सुचारू करने का अथक प्रयास किया था। वैसे भी अकाली नेताओं का यह मानना है कि विगत चुनावों में उन्हें 5 सीटें इसलिए मिली थीं क्योंकि उनके पास विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या कम थी, लेकिन अब की बार सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में उनके प्रत्याशी ने लगभग 46 हजार वोट लिए थे जबकि भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी इसलिए अब उन्हें ज्यादा नहीं तो कम से कम आधी सीटें जरूर दी जाएंगी। 
 
दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कथन है कि अकाली दल को उनकी बनती वही चार सीटें दी जाएंगी। वार्डबंदी में 2 सीटें बढऩे से एक आद सीट और दी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि टिकटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस में कोई घमासान नहीं है, वहां नेता प्रतिपक्ष व विधायक सुनील जाखड़ जिसे भी चुनाव लडऩे का आदेश देंगे वही चुनाव लड़ेगा। इस कारण ऐसा लगता है कि अकाली-भाजपा टिकटों के बंटवारे को लेकर ही एक दूसरे के आमने-सामने निर्दलीय उम्मीदवार को खड़ा कर सकते हैं जिसका पूरा नुक्सान अकाली-भाजपा गठबंधन को होगा।

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