Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 09:14 AM
वर्ष 1947 में अधिकांश सिखों के भारत चले जाने के बाद और आनंद मैरिज एक्ट 1909 के अप्रासंगिक होने के बाद सिख विवाह के लिए शीघ्र एक नया कानून लाया जाएगा। ‘डॉन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में पहली बार इस तरह का नया कानून लाया जा रहा है। यह...
इस्लामाबाद: वर्ष 1947 में अधिकांश सिखों के भारत चले जाने के बाद और आनंद मैरिज एक्ट 1909 के अप्रासंगिक होने के बाद सिख विवाह के लिए शीघ्र एक नया कानून लाया जाएगा। ‘डॉन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में पहली बार इस तरह का नया कानून लाया जा रहा है। यह कानून लाहौर सहित विभिन्न शहरों में व्यवसाय कर रहे सिख समुदाय के लोगों पर लागू होगा।
बिल के मसौदे के अनुसार सिख व्यक्तियों के बीच सभी विवाह, चाहे इस कानून के पहले या बाद के हों किसी यूनियन काऊंसिल के साथ पंजीकृत होंगे। एक विधिवत रूप से पूर्ण और हस्ताक्षरित सिख विवाह फार्म विवाह रजिस्ट्रार को प्रस्तुत किया जाएगा और शादी की तिथि के 30 दिनों के भीतर यूनियन काऊंसिल को सूचित किया जाएगा। प्रत्येक संघ परिषद शादी रजिस्ट्री में सिख विवाहों में प्रवेश करने और दर्ज करने के उद्देश्य से एक या एक से अधिक व्यक्तियों को लाइसैंस प्रदान करेगी। शादी को भंग करने की मांग करने पर सिख महिला या पुरुष को काऊंसिल अध्यक्ष को हस्ताक्षरित लिखित नोटिस प्रस्तुत करना होगा और उसी समय पति/ पत्नी को लिखित नोटिस की एक प्रति भी प्रदान करेगा।
लिखित नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर अध्यक्ष एक मध्यस्थता परिषद का गठन करेंगे। लिखित नोटिस की प्राप्ति के 90 दिनों के भीतर मध्यस्थता परिषद को दोनों पक्षों से मिलना होगा ताकि सुलह के लिए दोनों पक्षों को सुना जा सके। सिख विवाह के विघटन पर अध्यक्ष की शक्तियां इस अधिनियम के अनुसार विघटन के आदेश जारी करने तक सीमित रहेंगी।