Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 May, 2017 03:33 PM
चाहे ट्रैक्टर हो या फिर कार या अन्य आइटम। स्क्रू की सप्लाई तो चंडीगढ़ से ही होती है। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन के नित नए फरमान और अपनी जगह का उपयोग न करने की वजह से चंडीगढ़ स्क्रू इंडस्ट्री अब पंजाब का रुख कर रही है। एक वक़्त था जब शहर में स्क्रू...
चंडीगढ़ : चाहे ट्रैक्टर हो या फिर कार या अन्य आइटम। स्क्रू की सप्लाई तो चंडीगढ़ से ही होती है। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन के नित नए फरमान और अपनी जगह का उपयोग न करने की वजह से चंडीगढ़ स्क्रू इंडस्ट्री अब पंजाब का रुख कर रही है। एक वक़्त था जब शहर में स्क्रू इंडस्ट्री की पांच सौ इकाइयां होती थीं। अब यहां सिर्फ चार सौ इकाइयां ही रह गई हैं। इसमें से भी ज्यादातर बिना मुनाफे के काम कर रहे हैं।
मोहाली में कोई रोक टोक नहीं :
चंडीगढ के इंडस्ट्रियलिस्ट अरुण महाजन ने कहा कि मोहाली में इंडस्ट्री लगाने के बाद रोक टोक नहीं है। उन्होंने कहा कि मोहाली में एफएआर ज्यादा होने के कारण उद्यमी को काम करने का बेहतर मौका मिलता है। इसके साथ ही लेबर के क्वार्टर भी इंडस्ट्री के भीतर बना दिए जाते हैं जिससे लेबर की कास्ट तो कम होती ही है साथ ही काम भी ज्यादा होता है। इसके साथ ही बिजली की कीमत चंडीगढ़ से कम होने के कारण प्रोडक्शन कास्ट भी कम होती है। नतीजा मुनाफा और काम करने का अच्छा माहौल मिलता है।
आए दिन आते हैं नोटिस :
चंडीगढ़ में स्क्रू यूनिट को चलाने वाले नवनीत कुमार ने कहा कि चंडीगढ़ में एक समय बिजली के दाम मोहाली की अपेक्षा काफी कम थे। अब बिजली के दाम मोहाली से ज्यादा हैं। ऐसी स्थिति में प्रोडक्शन कास्ट बढ़ गई है। चंडीगढ़ में एफएआर कम होने की वजह से काम करने की जगह भी एकदम कम है। ऐसी स्थिति में जगह होते हुए उद्यमी उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण करीब बीस फीसदी यूनिट्स चंडीगढ़ से मोहाली और डेराबस्सी में शिफ्ट हो गई हैं। चंडीगढ़ में पाल्यूशन विभाग, इस्टेट कार्यालय द्वारा लगातार नोटिस भेजे जाते हैं। जीपीए पर होने की वजह से बैंक द्वारा हमको लोन भी नहीं मिल पाता है। जिसके कारण दूसरे राज्यों के उद्यमी की तरह हमारा उद्योग डवलप नहीं कर पाता है।