कभी तकरार, कभी इमोशन, ऐसा है ये रिलेशन!

Edited By ,Updated: 05 Oct, 2015 04:41 PM

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एक ननद की खुशियों की चाबी उसकी भाभी होती है। ननद के लिए भाभी उसकी सहेली के समान होती है जिसके साथ वह अपने मन की सारी बातें शेयर करती है। यह एक एेसा रिश्ता होता है

एक ननद की खुशियों की चाबी उसकी भाभी होती है। ननद के लिए भाभी उसकी सहेली के समान होती है जिसके साथ वह अपने मन की सारी बातें शेयर करती है। यह एक एेसा रिश्ता होता है जिसमें दो लोग प्यार, स्नेह  और विश्वास के बंधन में बंधे होते हैं। अाइए, अब हम अपको इस प्यारे से रिश्ते पर अाधारित एक कहानी सुनाते हैं।  

उस दिन मेघा के घर बहुत सालों के बाद उसकी पुरानी सहेली शिल्पा उससे मिलने आई। दोनों सहेलियां अभी बातें ही कर रही थीं कि मेघा की ननद आ गई। जो किसी दूसरे शहर में रहती थी। मेघा के बच्चे अपनी बुअा को देखकर बहुत खुश हुए। वह मन में यह सोच रहे थे कि बुअा जरुर उनके खाने के लिए कुछ लाई होगी। 

 जब तक उनकी बुअा ने उनको उनकी मनपसंद चीजें नहीं दे दीं,  तब तक वे अपनी बुअा को घेरे खड़े रहेे। यह सब उसकी सहेेेली देेेेख रही थी। तब मेघा ने अपनी सहेली को बताया कि मेरी ननद बच्चों को बहुत प्यारी है। जब भी वह अाती है तो हमेशा बच्चों के लिए तोहफे लाती है। बच्चों को उनके अाने का हमेशा इंतज़ार रहता है। जितने दिन वह यहां रहती है उतने दिन हम सब बहुत मस्ती करते हैं। 

 यह सब सुनकर शिल्पा बोली- तू कितनी 'लकी' है कि तेरी ननद इतनी अच्छी है। उसने बताया कि मेरी ननद जब भी अाती है तब घर का माहौल ही बदल जाता है।उसके आने से मैं तो बस काम वाली बाई बनकर रह जाती हूँ। किचन में कोई झांंकता तक नहीं, सब बाहर से ही ऑर्डर करते रहते हैं। जब मेरी ननद अाती है तो सब घूमने जाते हैं पर मुझसे जाने के लिए कोई नहीं पूछता। उसके अाने से मुझे अपने ही घर में अजनबी-सा महसूस होता है। कहने को मेरा ससुराल मेरा घर है, पर मुझसे किसी बात में राय तक नहीं ली जाती।   

ननद शादीशुदा हो या कुंवारी- अगर वह भाभी के साथ हिल-मिलकर रहे, तो उनमें  प्रेम हमेशा बना रहेगा, मनमुटाव भी नहीं होगा और रिश्तों में कड़वाहट भी नहीं आएगी। एक अच्छी ननद, सास-बहू में भी स्नेह बनाने का सुंदर कार्य करती है। किसी भी रिश्ते में स्नेह तभी आता है, जब दोनों तरफ से खुशबू बिखरी हो। ननद और भाभी दोनों ही खुले विचारों वाली होनी चाहिए जिससे परिवार में खुशहाली बनी रहे। 

अाज भी कई घरों में बहू और बेटी में फर्क किया जाता है। लोग यह क्यों नहीं समझते कि बहू भी किसी के घर की बेटी होती है। बहू को इस प्रकार स्नेह और प्यार देना चाहिए जैसा अाप अपनी बेटी को देते हैं ताकि कभी उसको ससुराल में अजनबी सा महसूस न हो। इसलिए बेटी और बहू दोनों को एक जैसा समझना चाहिए।

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