Karwa chauth: करवाचौथ व्रत कथाएं, दोपहर के बाद सुनें या पढ़ें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Nov, 2023 08:15 AM

karva chauth katha

करवाचौथ व्रत से संबंधित कथाएं तो अनेक हैं परंतु सभी का सार एक ही है पति की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत। चाहे यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों का ही पर्व माना गया है मगर कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत करके गौरी पूजन करके शिव जैसे वर की कामना करती हैं। करवा...

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Karwa chauth 2023: करवाचौथ व्रत से संबंधित कथाएं तो अनेक हैं परंतु सभी का सार एक ही है पति की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत। चाहे यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों का ही पर्व माना गया है मगर कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत करके गौरी पूजन करके शिव जैसे वर की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत में दोपहर के बाद सुहागन महिलाएं पौराणिक कथा सुनती हैं जो कुछ इस प्रकार है : 

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Karwa Chauth 2023 Vrat Katha: महाभारत काल में जब एक समय पांडव अर्जुन नीलगिरि पर्वत पर तप करने चले गए और काफी समय तक नहीं लौटे तो द्रौपदी चिंता में डूब गई। उसने भगवान श्री कृष्ण को याद किया तो उन्होंने तुरंत दर्शन देकर उसकी चिंता का कारण पूछा।

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द्रौपदी ने कहा कि हमारे सब कष्ट दूर हों तथा पति अर्जुन की दीर्घायु हो। श्री कृष्ण ने कहा कि पार्वती ने भी शंकर जी से एक समय यही प्रश्न किया था तो शंकर जी ने उन्हें जो कथा सुनाई थी वही सुनो :

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि करक चतुर्थी (करवा चौथ) को निर्जल व्रत करके यह कथा सुनी जाती है। किसी समय स्वर्ग से भी सुंदर शुक्र प्रस्थ नाम के नगर (जिसे अब दिल्ली कहा जाता है) में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहता था। उसके सात पुत्र और संपूर्ण लक्षणों से युक्त वीर वति नाम की एक सुंदर कन्या थी जिसका विवाह सुदर्शन नाम के एक ब्राह्मण से किया गया। वीरवति के सभी सातों भाई विवाहित थे। जिस दिन करवा चौथ का व्रत आया तो वीर वति ने भी अपनी भौजाइयों के साथ व्रत किया। दोपहर बाद श्रद्धा भाव से कथा सुनी और फिर अर्घ्य देने के लिए चंद्रमा देखने की प्रतीक्षा करने लगी मगर इस बीच दिन भर की भूख-प्यास से वह व्याकुल हो उठी तो उसकी प्यारी भौजाइयों ने यह बात अपने पतियों से कही। भाई भी बहन की पीड़ा से द्रवित हो उठे और उन्होंने जंगल में एक वृक्ष के ऊपर आग जला कर आगे कपड़ा तान कर नकली चंद्रमा-सा दृश्य बना डाला और घर आकर बहन से कहा कि चंद्रमा निकल आया है तो बहन ने नकली चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया मगर उसका व्रत नकली चंद्रमा को अर्घ्य देने से खंडित हो गया और जब वह ससुराल लौटी तो पति को गंभीर बीमार तथा बेहोश पाया और वह उसे उसी अवस्था में साल भर लिए बैठी रही। अगले वर्ष जब इंद्रलोक से इंद्र पत्नी इंद्राणी पृथ्वी पर करवा चौथ का व्रत करने आई और वीर वति से इस दुख का कारण पूछा तो इंद्राणी ने कहा कि गत वर्ष तुम्हारा व्रत खंडित हो गया था। इस बार तू इसे पूर्ण विधि से व्रत कर, तेरा पति ठीक हो जाएगा। वीर वति ने पूर्ण विधि से व्रत किया तो उसका पति फिर से ठीक हो गया।

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श्री कृष्ण ने कहा कि द्रौपदी तुम भी इस व्रत को विधि से करो सब ठीक हो जाएगा। द्रौपदी ने ऐसा ही किया। अर्जुन ठीक से घर लौट आए। सब ठीक हुआ राज्य वापस मिला।

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Karva Chauth Katha: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक समय देवताओं तथा दैत्यों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में देवताओं की पराजय होने लगी तो कुछ देवता ब्रह्मा जी के पास गए और विनय करके कहा कि विजय प्राप्ति के लिए कोई उपाय बताओ तो ब्रह्मा जी ने देवताओं से कहा कि यदि तुम्हारी रक्षा के लिए आपकी पत्नियां कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पूर्ण विधि से व्रत करें और रात्रि को चंद्रोदय होने पर उसे अर्ध्य देकर भोजन करें तथा दिन में गणेश पूजा करें तो आपकी पत्नियों का सुहाग अटल रहेगा और आप सबकी दीर्घायु होगी। 

यह आदेश सुनकर देव-स्त्रियों ने पूर्ण विधि से निर्जल रह कर व्रत किया। दिन में गणेश पूजा की और रात्रि को चंद्रमा उदय होने पर अर्ध्य देकर भोजनपान किया तो इस व्रत के प्रभाव से देवताओं की रक्षा तथा विजय हुई। उस समय से भी व्रत प्रचलित कहा जाता है।

 

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