Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Apr, 2022 07:43 AM
आषाढ़ मास से शेष शैय्या पर सो रहे श्री हरि विष्णु शयन करते हुए करवट लेते हैं इसलिए इस दिन पड़ने वाली एकादशी को वामन द्वादशी, परिवर्तिनी एवं पार्शव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
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Vaman Jayanti: आज के दिन शेष शैय्या पर सो रहे श्री हरि विष्णु शयन करते हुए करवट लेते हैं इसलिए इस दिन पड़ने वाली एकादशी को वामन द्वादशी, परिवर्तिनी एवं पार्शव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वामन द्वादशी व्रत की कथा पढ़ने वाले तथा श्रवण करने वालों को हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है।
Parivartini Ekadashi vrat katha: व्रत कथा
त्रेतायुग में बलि नाम का दैत्य भगवान का परमभक्त था, वह बड़ा दानी,सत्यावादी एवं धर्मपरायण था। यज्ञों के प्रभाव से उसने सभी देवताओं को अपने वश में कर लिया, यहां तक कि देवराज इंद्र तक को जीत कर उसकी अमरापुरी पर कब्जा कर लिया। आकाश, पाताल और पृथ्वी तीनों लोक उसके अधीन थे। जिससे दुखी होकर सभी देवताओं ने भगवान के पास जाकर उसकी स्तुति की।
भगवान ने सभी को राजा बलि से मुक्ति दिलवाने के लिए वामन आवतार लिया तथा एक छोटे से ब्राह्मण का वेष बनाकर उन्होंने राजा बलि से तीन पग पृथ्वी मांगी, राजा बलि के संकल्प करने के पश्चात भगवान ने विराट रूप धारण करके तीनों लोको को नाप लिया तथा राजा बलि को सूतल क्षेत्र में भेज दिया।
जिस प्रकार भगवान ने अपने भक्तों के हित में अवतार लेकर उन्हें राजा बलि से मुक्त करवाया वैसे ही निराकार परमात्मा साकार रूप में धरती पर अवतरित होकर लोगों की रक्षा करते हैं।
क्या करें दान
वैसे तो भगवान अपने भक्तों के वशीभूत रहते हैं तथा भक्त की पुकार पर दौड़े चले आते है परंतु व्रत आदि की महिमा सदा ही होती है। इस दिन भगवान विष्णु जी का स्मरण करते हुए तांबा, चांदी, चावल और दही का दान करना उत्तम माना जाता है। सच्चे भक्त प्रेम से अपनी सामर्थयानुसार किसी भी प्रिय वस्तु का दान करके प्रभु की असीम कृपा का पात्र बन सकता है।