जून में सुस्त रहा Manufacturing क्षेत्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jul, 2017 01:29 PM

manufacturing sector sluggish in june

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) लागू होने से पहले घरेलू ऑर्डरों में भारी कमी तथा उत्पादन में गिरावट के

मुम्बई: वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) लागू होने से पहले घरेलू ऑर्डरों में भारी कमी तथा उत्पादन में गिरावट के कारण जून में देश का विनिर्माण क्षेत्र सुस्त रहा और इसका पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक मई के 51.6 से घटकर 50.9 रह गया।

उत्पादन भी 4 महीने के निचले स्तर पर 
निक्केई द्वारा आज यहां जारी आंकड़ों के अनुसार विदेशों से मिलने वाले ऑर्डर्स की वृद्धि दर जून में 8 महीने के उच्चतम स्तर पर रही लेकिन घरेलू ऑर्डरों में गिरावट से ऑर्डरों की सम्मिलित वृद्धि दर 4 माह के निचले स्तर पर आ गई। इसके अलावा उत्पादन भी 4 महीने के निचले स्तर पर रहा। कम्पनियों की कच्चा माल खरीद और रोजगार में मामूली बढ़ौतरी हुई है। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि को और इससे नीचे रहना ह्रास को दर्शाता है जबकि 50 का स्तर स्थिरता का द्योतक है। निक्केई सूचकांक माह दर माह वृद्धि का आकलन करता है और मौसमी कारकों को ध्यान में रखकर गणना उसके अनुरूप की जाती है।

लगातार तीसरे महीने घटी उत्पादन वृद्धि दर 
निक्केई के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाली एजैंसी आई.एच.एस. मार्कीट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डी. लीमा ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह लगातार तीसरा महीना है जब उत्पादन की वृद्धि दर घटी है। इस सुस्ती का कारण खरीदारों की ओर से मांग का कम रहना है। कई मामलों में कम्पनियों ने संकेत दिया है कि पानी की कमी और जी.एस.टी. लागू होने से पहले ग्राहकों के इंतजार करने से वृद्धि फिलहाल टली है, थमी नहीं है। भविष्य के बारे में विनिर्माताओं का विश्वास मिला-जुला था। कुछ कारोबारियों का कहना था कि जी.एस.टी. के बाद उनका कारोबार बढ़ेगा और कुछ की राय थी कि इसका मांग पर नकारात्मक असर होगा। कुल मिलाकर आशावादिता 3 महीने के निचले स्तर पर रही।

जी.एस.टी. से उपभोक्ता खर्च पर नहीं पड़ेगा प्रभाव 
सुश्री लीमा ने कहा कि नोटबंदी का असर अब लगभग समाप्त हो चुका है और जी.एस.टी. से उपभोक्ता खर्च पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। मार्कीट ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।विनिर्माण क्षेत्र के उपखंडों में माध्यमिक वस्तु का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। उपभोक्ता वस्तु उपखंड में मजबूत वृद्धि जारी रही जबकि पूंजीगत वस्तु उपखंड मई के ह्रास से उबरने में कामयाब रहा। 

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