सहवाग पर है कुंबले का एक बड़ा कर्ज!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jun, 2017 05:16 PM

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क्रिकेट बड़ी गौरवशाली अनिश्चितताओं का खेल है और यह बात भारतीय क्रिकेट के नए कोच के लिए मौजूदा होड़ से फिर साबित हो गई है।

नई दिल्ली: क्रिकेट बड़ी गौरवशाली अनिश्चितताओं का खेल है और यह बात भारतीय क्रिकेट के नए कोच के लिए मौजूदा होड़ से फिर साबित हो गई है। नए कोच के लिए मौजूदा कोच अनिल कुंबले और पूर्व दिग्गज बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग आमने-सामने आ गए हैं। इन दोनों के लिए गौरवशाली अनिश्चितता इस मायने में सामने आई है कि सहवाग पर पूर्व भारतीय कप्तान कुंबले का एक बड़ा कर्ज है। 

यह बात उस समय की है जब भारतीय टीम को 2007-08 में आस्ट्रेलिया के दौरे में जाना था। सहवाग इस दौरे के लिए घोषित 30 संभावितों में भी शामिल नहीं थे। वर्ष 2007 में वेस्टइंडीज में हुए विश्वकप में भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन के बाद सहवाग को टेस्ट और वनडे दोनों ही टीमों से बाहर हो जाना पड़ा था। उस समय उपकप्तान रह चुके सहवाग में भविष्य के कप्तान की संभावनाएं देखी जा रही थी लेकिन फिर वह लगभग एक साल तक टीम से ही बाहर रहे। 

सहवाग के लिए ये हालात तोड़ देने वाले थे। कोई उन्हें पूछ नहीं रहा था। उस समय सहवाग ने कहा था कि जब मुझे टेस्ट टीम से हटाया गया तो मैं दुखी महसूस कर रहा था क्योंकि मेरा टेस्ट में अच्छा रिकार्ड था। मैं खुद को साबित करने का एक मौका देख रहा था। सहवाग अपने करियर को लौटाना चाहते थे लेकिन घरेलू क्रिकेट में भी उन्हें अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे थे। 

 भारतीय टीम आस्ट्रेलिया जाने वाली थी कि उसी समय नए टेस्ट कप्तान अनिल कुंबले सहवाग के लिए जैसे भगवान के भेजे दूत की तरह आए। उन्होंने चयनकर्ताओं और बीसीसीआई से जोर देकर कहा कि उन्हें इस सीरीज के लिए सहवाग की जरूरत है। लोगों ने आश्चर्य जताया कि जो 30 संभावितों में नहीं है उसे टीम में कैसे शामिल किया जा सकता है लेकिन कुंबले अपनी बात पर अड़े रहे और उनकी जिद ने भारतीय क्रिकेट में एक नया इतिहास बना दिया। 

सहवाग को इस दौरे में पहले दो टेस्टों में खेलने का मौका नहीं मिला। उन्हें पर्थ में तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम में शामिल किया गया। सहवाग ने इस मैच में 29 और 43 रन बनाये और गेंदबाजी करते हुए एडम गिलक्रिस्ट तथा ब्रेट ली के विकेट लिये। भारत ने यह टेस्ट 72 रन से जीत लिया।  एडिलेड में खेले गये चौथे टेस्ट में सहवाग अपने पूरे शवाब पर थे। उन्होंने पहली पारी में 63 रन बनाए और दूसरी पारी में 151 रन ठोक डाले। यह मैच ड्रा रहा। सहवाग के करियर के लिए ये दो टेस्ट टर्निंग प्वाइंट साबित हुए और उन्होंने भारतीय टीम में धमकदार वापसी कर ली और इस वापसी का श्रेय सिर्फ कुंबले को जाता है। 

इस सीरीज को खेलकर लौटने के बाद भारत को दक्षिण अफ्रीका से घरेलू सीरीज खेलनी थी। सहवाग ने चेन्नई में खेले गए पहले टेस्ट में 304 गेंदों पर 42 चौकों और पांच छक्कों की मदद से 319 रन ठोक डाले। सहवाग ने अपने इस तिहरे शतक को मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ 2004 में बनाये गये तिहरे शतक से बेहतर बताया। इसके साथ ही वह दो तिहरे शतक बनाने में आस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज सर डान ब्रेडमैन की श्रेणी में आ गए।  

सहवाग का करियर इसके बाद 2013 तक चला। इतिहास के सबसे खतरनाक ओपनर सहवाग के लिये कुंबले की वह पहल एक ऐसा कर्ज बन गयी जो शायद वह अपने जीवन में कभी नहीं उतार पायेंगे। सहवाग ने 2016 में अपने जन्मदिन पर कुंबले की बधाई स्वीकार करते हुए कहा था,Þ मेरे विचार में आप भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तान रहे और संभवत: सर्वश्रेष्ठ कोच भी, लेकिन आज इसे विडंबना कहें या हालात की मजबूरी, भारतीय टीम के कोच के लिये कुंबले और सहवाग ही आमने-सामने आ गए हैं।
 

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