Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 04:55 PM
भारत अंडर-17 फुटबॉल टीम के गोलकीपर एम धीरज सिंह के पिता का कहना है कि वह कतई नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फुटबॉल खेले और इस वजह से एक समय स्कूल में टॉपर रहे इस युवा
नई दिल्ली: भारत अंडर-17 फुटबॉल टीम के गोलकीपर एम धीरज सिंह के पिता का कहना है कि वह कतई नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फुटबॉल खेले और इस वजह से एक समय स्कूल में टॉपर रहे इस युवा फुटबालर को उसकी नानी ने किट खरीदकर दी। धीरज के पिता रोमित ने कहा कि उनका बेटा पढऩे में बहुत अच्छा था और वे नहीं चाहते थे कि वह फुटबॉल खेले क्योंकि इस खेल को करियर का विकल्प नहीं माना जाता है।
फीफा अंडर-17 विश्व कप में अपने बेटे को खेलते हुए देखने के लिए यहां आए रोमित ने कहा, ‘‘धीरज पढऩे में बहुत अच्छा था और अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आता था। वह बोॢडंग स्कूल में था और वहां वह ड्रामा और पेंटिंग में भाग लेता था। यहां तक कि वह भजन भी गाता था। मैं उसके फुटबाल खेलने के खिलाफ था। मैंने उसके लिये फुटबाल किट्स नहीं खरीदी, इसलिए उसने अपनी नानी से फुटबाल, जूते और अन्य चीजें खरीदने के लिये कहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उसकी मां भी नहीं चाहती थी कि वह फुटबाल खेले लेकिन जब धीरज राष्ट्रीय स्तर (आयु वर्ग) में खेलने लग गया तो हम नरम पड़ गए। अब हम खुश हैं कि वह इतने बड़े टूर्नामेंट में देश के लिये खेल रहा है। हमने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वह इस स्तर पर खेलेगा और लोग उसकी प्रशंसा करेंगे।’’ धीरज ने अमेरिका और कोलंबिया के खिलाफ शानदार गोलकीपिंग की थी जिसकी काफी प्रशंसा हो रही है। वह मणिपुर के बिसनपुर जिले के मोइरंग के रहने वाले हैं। रोमित ओर हेमाम ऊषा देवी के एक बेटा धीरज और दो बेटियां हैं।