बधिर ओलंपिक में पदक जीतकर लौटे खिलाडिय़ों को नहीं मिला सम्मान, एयरपोर्ट पर लगाया धरना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Aug, 2017 06:15 PM

do not get respect for the medal in the deaf olympics

भारत में खेलों और खिलाडिय़ों को लेकर यह आमचलन है कि किसी को विदेशी मंच पर पदक जीतने पर सिर आंखों पर बैठा लिया जाता है तो कुछ को न पहचान मिलती है और न ईनाम। तुर्की में बधिर

नई दिल्ली: भारत में खेलों और खिलाडिय़ों को लेकर यह आमचलन है कि किसी को विदेशी मंच पर पदक जीतने पर सिर आंखों पर बैठा लिया जाता है तो कुछ को न पहचान मिलती है और न ईनाम। तुर्की में बधिर ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर मंगलवार को लौटे भारतीय दल ने प्रशासन द्वारा नकारअंदाज किए जाने पर नाराजगी जताते हुए नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और मीडिया में इस खबर के आने के बाद फिर से यह तर्क साफ हो गया है कि न तो खेल संघों और न ही केंद्रीय खेल मंत्रालय के पास खिलाडिय़ों को लेकर कोई नीति है।

भारतीय खिलाडिय़ों ने तुर्की में संपन्न हुए बधिर ओलंपिक खेलों में एक स्वर्ण सहित पांच पदक जीते हैं लेकिन 46 सदस्यीय खिलाडिय़ों और सपोर्ट स्टाफ के भारतीय दल के स्वागत के लिए न यहां खेल संघ के अधिकारी मौजूद थे और न ही केंद्रीय खेल मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिनिधि यहां मौजूद था। इसके अलावा मीडिया को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी। सरकार और मंत्रालय की इस बेरूखी से नाराज भारतीय दल ने विरोधस्वरूप हवाईअड्डे पर ही अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और हवाईअड्डे से जाने से भी इंकार कर दिया। वहीं खिलाड़ी खेल मंत्री विजय गोयल से भी इस मुद्दे पर बात नहीं कर सके। अखिल भारतीय बधिर परिषद के प्रोजेक्ट अधिकारी केतन शाह ने एक चैनल से कहा कि हम ओलंपिक और पैरालंपिक खिलाडिय़ों की सफलता का जश्न मनाते हैं लेकिन बधिर खिलाडिय़ों को अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद भी पहचान नहीं मिलती है।

हमने इन खेलों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है लेकिन हमें कोई सम्मान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि हमने खेल मंत्री विजय गोयल और भारतीय खेल प्राधिकरण(साई) के महानिदेशक से भी बात करने का प्रयास किया लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। हमने उन्हें 25 जुलाई को ईमेल कर जानकारी दी थी कि हमारा दल एक अगस्त को वापिस आ रहा है लेकिन हमें किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। हम आने से पहले भी मंत्रालय से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे लेकिन किसी ने हमें उत्तर नहीं दिया। नकारअंदाज किए जाने से नाराका और दुखी खिलाडिय़ों और सपोर्ट स्टाफ के सदस्यों ने अपनी सांकेतिक भाषा में कहा कि यहां उनके स्वागत के लिए कोई मौजूद नहीं था और न ही यहां खिलाडिय़ों से मिलने के लिए कोई आया।

यह खिलाडिय़ों के मनोबल को गिराने वाला है। उल्लेखनीय है कि भारत ने गत वर्ष रियो ओलंपिक में अपना सबसे बड़ा दल उतारा लेकिन उसे केवल एक कांस्य और एक रजत ही मिल सका। लेकिन रियो पैरालंपिक में उसके एथलीटों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर स्वर्ण सहित चार पदक जीते थे जिसके बाद इन खिलाडिय़ों को केंद्र और राज्य सरकारों से बड़े ईनाम मिले। वहीं विश्वकप में फाइनल हारने के बाद भी उनका हौंसला बढ़ाने के लिए महिला क्रिकेटरों का स्वागत किया गया था। लेकिन बधिर ओलंपिक में पांच पदक जीतने पर भी खिलाडिय़ों को सरकार और खेल संघों की बेरूखी का शिकार होना पड़ा जो देश में एकसमान खेल नीति और मंत्रालय के खराब रवैये को दर्शाता है और देश में खेलों की दुर्दशा का भी परिचायक है। 

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