Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 06:49 PM
भारत की तरफ से विश्व कप में पहला गोल दागने वाले जैकसन सिंह थोनाउजाम फुटबाल के प्रति इतने अधिक जूनूनी थे कि बचपन में एक बार जब उनके माता...
नई दिल्ली: भारत की तरफ से विश्व कप में पहला गोल दागने वाले जैकसन सिंह थोनाउजाम फुटबाल के प्रति इतने अधिक जूनूनी थे कि बचपन में एक बार जब उनके माता पिता ने उन्हें खेल छोडऩे और पढ़ाई पर ध्यान लगाने के लिए कहा तो उन्होंने दो दिन तक खाना नहीं खाया था। सोलह वर्षीय जैकसन की मां बिलाशिणी देवी ने कहा कि वह और उनके पति देबेन सिंह चाहते थे कि उनका बेटा नौकरशाह बने लेकिन उसने फुटबालर बनने की जिद पकड़े रखी।
परिवार चाहता था बेटा आईएएस बने
बिलाशिणी ने कहा, ‘‘जैकसन पढ़ाई में अव्वल था तथा अमरजीत सिंह (वर्तमान भारतीय कप्तान) दूसरी से चौथी कक्षा में उसके बाद दूसरे नंबर पर आया था। हम चाहते थे कि जैकसन आईएएस अधिकारी बने लेकिन वह इसके लिये तैयार नहीं था। उसने चार साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था। हमारे घर के बाहर छोटा मैदान था और वह पूरे दिन वहां खेलता था और यहां तक कि भोजन करना भी भूल जाता था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि एक बार हमने उसे फुटबाल छोडऩे और पढ़ाई पर ध्यान लगाने के लिये कहा तो उसने दो दिन से भी अधिक समय तक खाना नहीं खाया। इसके बाद हमने कभी उससे फुटबाल छोडऩे के लिए नहीं कहा।
पिता भी थे फुटबाॅलर
उसके पिता भी फुटबालर थे और हमने जैकसन पर दबाव बनाना बंद कर दिया और उसे फुटबाल खेलने की छूट दे दी। ’’ देबेन मणिपुर के स्थानीय क्लब में खेलते थे और वह मणिपुर पुलिस फुटबाल क्लब टीम में भी थे। दो साल पहले उन्हें लकवा मार गया था जिसके बाद बिलाशिणी परिवार की अकेली कमाई करने वाली सदस्य रह गयी। वह अभी अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ की व्यवस्था से अपने पति के साथ भारत के मैच देखने के लिये यहां आ रखी है। बिलाशिणी ने कहा कि जब उनके छह फीट दो इंच लंबे बेटे ने कोलंबिया के खिलाफ बराबरी का गोल दागा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने नहीं सोचा था कि वह गोल करेगा लेकिन जब ऐसा हुआ तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हम यह सोचकर खुश थे कि हमारा बेटा भारत की तरफ से खेल रहा है और उसने गोल किया। अभी जश्न चल ही रहा था कि अगले ही मिनट में कोलंबिया ने गोल करके बढ़त हासिल कर दी जिससे हम वास्तव में दुखी थे। अगर भारत मैच जीत जाता तो अच्छा होता। ’’