Edited By ,Updated: 31 Aug, 2016 01:12 PM
रियो ओलिंपिक में हिस्सा लेकर लौटी भारतीय महिला हॉकी टीम के खिलाड़ियों के घर लौटते समय ट्रेन में सीट नहीं मिलने और फर्श .....
नई दिल्ली: रियो ओलिंपिक में हिस्सा लेकर लौटी भारतीय महिला हॉकी टीम के खिलाड़ियों के घर लौटते समय ट्रेन में सीट नहीं मिलने और फर्श पर बैठकर सफर करने की खबरों पर रेलवे ने स्पष्टीकरण दिया है और इन्हें गलत बताया है। 36 वर्षों बाद ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली महिला हॉकी टीम की कुछ खिलाड़ियों को रियो से लौटने के बाद अपने अपने घर लौटते समय ट्रेन में सीट नहीं मिली थी और इससे उन्हें ट्रेन के फर्श पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी थी।
मीडिया में इस खबर ने काफी सुर्खिंया बटौरी थीं जिसके बाद रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल कुमार सक्सेना ने एक बयान जारी कर अपना स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने बताया कि हॉकी खिलाड़ियों ने रांची हवाईअड्डे से ट्रेन पकड़ी थी जिसकी पहले से कोई जानकारी नहीं थी। इसके बाद टीटी ने खिलाड़ियों के लिए 20 मिनट का समय लेकर सीटें उपलब्ध कराईं। लेकिन हॉकी खिलाड़ियों को ट्रेन पकडऩे की जल्दी थी इसलिये उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी।
भारतीय रेलवे ने साथ ही बताया कि टीसी के खिलाड़ियों को फर्श पर बैठने की खबर भी गलत है और उन्होंने इस बात की जांच की है। उल्लेखनीय है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रियो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली 4 महिला हॉकी खिलाड़ी नमिता टोप्पो ,दीप ग्रेस इक्का, लिलिमा मिंज तथा सुनीता लाकड़ा जब घर लौटते समय रांची से राउरकेला जा रही धनबाद-एल्लेपे एक्सप्रेस से यात्रा कर रही थीं तब उन्हें बैठने के लिए एक भी सीट नहीं मिली। उन्हें टीटी से आग्रह करने के बावजूद ट्रेन की फर्श पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी।
सुनीता ने अपने बयान में कहा था कि हमनें टिकट चेकर से अपनी पहचान भी बताई और उनसे आग्रह किया कि हम सभी पिछले कई दिनों के सफर से थकी हुयी हैं और हो सके तो एक-दो सीटें बैठने के लिये उपलब्ध करा दें। टीसी ने सीट देने में असमर्थता जता दी और हमें फर्श में बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि बाद में कुछ यात्रियों ने अपनी सीटों में ही बैठने की जगह दे दी। हमें वाकई अफसोस है कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ियों के साथ कैसे ऐसा उपेक्षापूर्ण बर्ताव किया जा सकता है।