Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Aug, 2017 02:26 PM
आईएएएफ अध्यक्ष सेबेश्चियन को ने आज कहा कि वह इस बात को तवज्जो देंगे कि एथलीटों पर प्रतिबंध लगाने का अधि...
लंदन: आईएएएफ अध्यक्ष सेबेश्चियन को ने आज कहा कि वह इस बात को तवज्जो देंगे कि एथलीटों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार खेल संस्थाओं के पास ही रहे क्योंकि इन मामलों को अदालत में ले जाने से चीजें ‘पेचीदा’ हो जाएंगी। भारत सहित कुछ देशों में डोपिंग को अपराध करार करने की मांग की जा रही है। यहां चल रही विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के मौके पर बात करते हुए एथलेटिक्स महासंघों के अंतरराष्ट्रीय संघ (आईएएएफ) प्रमुख ने कहा कि डोपिंग के मामलों के निपटारे करने का अधिकार सिर्फ खेल संस्थाओं के पास ही होना चाहिए।
डोपिंग से निपटने के लिए कुछ देशों :जैसे इथियोपिया, आस्ट्रिया, फ्रांस और इटली ने डोप को दंडनीय आपराध बनाने का कानून बनाया है। भारत में भी इसी ओर बढऩे की ओर प्रयास किये जा रहे हैं। को ने कहा, ‘‘चर्चायें चल रही हैं। कुछ का कहना है कि यही बेहतर होगा कि अदालत के बजाय खेल ही डोपिंग मामलों को निपटाये। कभी कभार खेल संस्थायें ऐसा प्रतिबंध लगा सकती हैं जो आपराधिक अदालतें नहीं लगा सकतीं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘तब आपके पास चर्चा का विषय होगा कि ‘क्या इस मामले को पहले अदालत में जाना चाहिए या फिर खेल संस्था के पास आना चाहिए’? अगर ऐसा मामला पहले अदालत के पास जाएगा और उस व्यक्ति को जेल की सजा होती है तो यह महज तीन या चार महीने की हो सकती है। जबकि खेल संस्था उस पर चार साल का प्रतिबंध लगा सकती है, इस तरह खेल इससे कड़ाई से निपट सकता है।’’ को ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से मैं तवज्जो दूंगा कि एथलीटों पर प्रतिबंध लगाने का नियंत्रण खेल संस्था के पास ही होना चाहिए। एक बार आप अपराधिक मामलों से निपटने वाली अदालत को इसमें शामिल कर लेंगे तो मामले काफी पेचीदा हो जायेंगे। ’’