Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jun, 2017 04:32 PM
करियर के शुरूआती दौर से ही अपनी असाधारण प्रतिभा की बानगी देने वाले युवराज सिहं ने बीते 17 बरस में मैदान के भीतर और बाहर कई उतार चढाव झेले ....
बर्मिघम: करियर के शुरूआती दौर से ही अपनी असाधारण प्रतिभा की बानगी देने वाले युवराज सिहं ने बीते 17 बरस में मैदान के भीतर और बाहर कई उतार चढाव झेले लेकिन हार नहीं मानी और अब 300वां वनडे मैच खेलने की दहलीज पर खड़े हैं । युवराज को कुछ लफ्जों में बयां करना काफी कठिन है । वह मोहम्मद अजहरूद्दीन, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के बाद 300 वनडे खेलने वाले 5वें भारतीय क्रिकेटर होंगे।
अपने करियर में वह केवल 40 टैस्ट खेल सके जो उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं है। सीमित आेवरों में भारत के महानतम मैच विनर में से हैं युवराज और यह सूची ज्यादा लंबी नहीं है। वनडे में मैच विनर्स की बात करने पर उनके अलावा कपिल देव, तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी के नाम ही जेहन में आते हैं।
एक युवराज वह है जो 18 बरस की उम्र में ग्लेन मैकग्रा, ब्रेट ली और जासन गिलेस्पी जैसे गेंदबाजों से भी खौफ नहीं खाता। फिर वह युवराज जिसने क्रिकेट के मक्का लाडर्स पर नेटवेस्ट फाइनल में मैच जिताने वाली पारी खेली। उस समय 2002 में 325 रन का लक्ष्य हासिल करना लगभग असंभव हुआ करता था। इसी युवराज ने सिडनी में ली, गिलेस्पी और एंडी बिकल जैसे गेंदबाजों के सामने 139 रन की पारी खेली।
एक वह युवराज भी है जो कभी टेस्ट क्रिकेट में अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सका। कुछ लोग कहते हैं कि वह पांच दिनी क्रिकेट वाले तेवर ही नहीं रखता था तो कुछ का कहना है कि सौरव गांगुली का 5वें नंबर पर कब्जा होने के कारण उसे अधिक मौके नहीं मिले। उस समय गांगुली टेस्ट क्रिकेट में बेहतर खिलाड़ी थे।