IPO के जरिए रकम जुटाने वाली छोटी कंपनियों पर SEBI होगी सख्त

Edited By ,Updated: 14 Apr, 2017 05:11 PM

sebi will be tough on smaller companies raising fund through ipo

छोटी कंपनियों की ओर से आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आई.पी.ओ.) के जरिए जुटाई ...

नई दिल्लीः छोटी कंपनियों की ओर से आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आई.पी.ओ.) के जरिए जुटाई गई राशि के गलत इस्तेमाल रोकने के लिए सेबी कड़े कदम उठाने की योजना बना रही है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अपनी इस योजना के अंतर्गत आई.पी.ओ. से 500 करोड़ रुपए तक का धन जुटाने वाली सभी छोटी कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति अनिवार्य करने की तैयारी में है। ये नई एजेंसी जुटाई गई पूंजी के खर्च की निगरानी करेगी।

निगरानी एजेंसी की नियुक्ति हो सकती है अनिवार्य
वर्तमान नियमों के मुताबिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए 500 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा राशि जुटाने वाली कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति की आवश्यकता होती है। यह एजेंसी बैंक या सार्वजनिक वित्तीय संस्थान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार नियामक अब सभी कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति को अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है जहां छोटे निर्गमों या शेयर बिक्री के जरिए जुटाई गई 500 करोड़ रुपए से कम की राशि का दुरुपयोग हो रहा है। मसलन, आई.पी.ओ. का आकार कुछ भी हो सभी कंपनियों को निगरानी एजेंसी की नियुक्ति करनी होगी।

निदेशक मंडल की अगली बैठक 26 अप्रैल को
आई.पी.ओ. के जरिए निवेशकों से धन जुटाने के अलावा यह नियम राइट इश्यू के जरिए मौजूदा निवेशकों से धन जुटाने पर भी लागू होगा। बैंक और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों जैसी कुछ कंपनियों को इस प्रावधान से छूट है। ऐसा इसलिए क्यों कि इस वर्ग की इकाइयों को और कड़े नियामकीय अनुपालन को पूरा करना होता है। सेबी के निदेशक मंडल की 26 अप्रैल को होने वाली अगली बैठक में छोटी कंपनियों के लिए भी निगरानी एजेंसी की अनिवार्यता संबंधी प्रस्ताव को रखा जा सकता है। ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि कुछ कंपनियों ने पेशकश दस्तावेज में उल्ले खित उद्देश्यों से अलग भी आई.पी.ओ. के धन का इस्तेमाल कर रही है।

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