मानो या न मानो: अदृश्य आत्माएं बनती हैं परिवार के लिए सुरक्षा कवच

Edited By ,Updated: 04 Oct, 2015 01:30 PM

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आपने भी कई बार अनुभव किया होगा कि श्राद्ध आने से कुछ दिन पहले से ही कुछ पूर्वज आपको सपने में दिखने लग जाते हैं। आपको कुछ कहते हैं। कुछ मांगते हैं। यह अद्भुत,

आपने भी कई बार अनुभव किया होगा कि श्राद्ध आने से कुछ दिन पहले से ही कुछ पूर्वज आपको सपने में दिखने लग जाते हैं। आपको कुछ कहते हैं। कुछ मांगते हैं। यह अद्भुत, आलौकिक, रहस्यमय,अदृश्य आश्चर्यजनक सत्य है कि दिवंगत आत्माएं अपने परिवार के लोगों को संकटों, आने वाली मुसीबतों, घटनाओं, दुर्घटनाओं से समय-समय पर आगाह करती हैं।

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इतना ही नहीं, कितनी ही सत्य घटनाएं हुई हैं जिनमें पारलौकिक, जीवनमुक्त आत्माओं के कारण खतरनाक घटनाएं, एक्सीडैंट होते-होते, एक क्षण में ही टल जाते हैं। देहरहित परिवार के दिवंगत सदस्य,दूसरा शरीर धारण करने से पूर्व अपने परिवार की सहायता के लिए आसपास ही विचरण करते हैं। वे सुरक्षा कवच बनकर परिवार को आने वाली बाधाओं से बचाते हैं। पश्चिमी देशों में इन्हेें ‘इनविजिबल हैल्पर्स’ कहा जाता है। हमारे देश में ऐसे पूर्वजों का स्मरण इसी पक्ष में विधि-विधान से किया जाता है।

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आधुनिक युग में आप अपने सुपुत्र से कभी पूछें कि उसके दादा-दादी जी या नाना-नानी जी का क्या नाम है। आज के युग में 90 प्रतिशत बच्चे या तो सिर खुजलाने लग जाते हैं या ऐं ऐं करने लग जाते हैं। पड़दादा का नाम तो रहने ही दें। संभव है वह आपके पिता जी का नाम कुछ का कुछ बता दें और आप बगलें झांकते रह जाएं। यदि आप चाहते हैं कि आपका नाम आपका पोता भी जाने तो आप श्राद्ध के महत्व को समझें। सदियों से चली आ रही भारत की इस व्यावहारिक एवं सुंदर परंपरा का निर्वाह अवश्य करें। 

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त्यौहार: 4 अक्तूबर से 10 अक्तूबर, 2015 तक 

 

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