मां शेरांवाली की महापूजा दे रही है, राजनीतिक उठापटक का संकेत!

Edited By ,Updated: 10 Oct, 2016 07:58 AM

maa sherawali

देवी भगवती ने शारदीय नवरात्र को अपनी वार्षिक महापूजा कहा है। वार्षिक दुर्गा पूजा देशभर में विशेष रूप से मनाई जाती है परन्तु क्या आप जानते हैं कि हर शारदीय नवरात्र में देवी किसी न किसी सवारी पर आती हैं? जिस दिन से नवरात्र प्रारंभ होते हैं, उसी

देवी भगवती ने शारदीय नवरात्र को अपनी वार्षिक महापूजा कहा है। वार्षिक दुर्गा पूजा देशभर में विशेष रूप से मनाई जाती है परन्तु क्या आप जानते हैं कि हर शारदीय नवरात्र में देवी किसी न किसी सवारी पर आती हैं? जिस दिन से नवरात्र प्रारंभ होते हैं, उसी से तय होती है माता की सवारी। यूं हम सब लोग उनको शेरोंवाली कहते हैं और शेर पर सवारी उनको प्रिय है लेकिन अपनी महापूजा पर देवी भगवती संकेतों में बहुत कुछ कहने आती हैं। इन्हीं संकेतों में एक संकेत है, उनकी सवारी। शारदीय नवरात्र आते ही, वह अपना वाहन बदल लेती हैं तथा प्रस्थान भी वाहन बदल कर करती हैं।


इस बार शारदीय नवरात्र में देवी भगवती अश्व पर सवार होकर आई हैं और चरणायुध पर प्रस्थान करेंगी। वाहन का भी अपना अलग गणित है। ठीक वैसे ही जैसे नवसंवत्सर का राजा और मंत्री का निर्धारण होता है। आइए, आपको बताते हैं कि देवी भगवती का वाहन कब और कौन-सा होता है:

 * यदि शारदीय नवरात्र रविवार या सोमवार से प्रारंभ होते हैं तो देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं।


 * यदि शनिवार और मंगलवार को नवरात्र प्रारंभ होते हैं तो मातारानी का आगमन अश्व अर्थात घोड़े पर होता है। 


 * वीरवार या शुक्रवार को यदि नवरात्र प्रारंभ होते हैं तो देवी मां डोले या पालकी पर सवार होकर आती हैं।


 * बुधवार को यदि नवरात्रों का शुभारंभ होता है तो शेरां वाली मां शेर छोड़ कर नाव पर सवार होकर आती हैं।


हाथी यानी अच्छी वर्षा
 * भगवती यदि हाथी पर आती हैं तो अच्छी वर्षा का संकेत है। चारों दिशाओं में सुख-शांति है। धन-धान्य और समृद्धि है। हाथी दिशाओं का प्रतीक है। चूंकि इस बार शारदीय नवरात्र का प्रारंभ शनिवार से हुआ है इसलिए देवी भगवती अश्व पर सवार होकर आई हैं।


 * अश्व पर यदि मातारानी आती हैं तो राजनीतिक उठापटक होती है और राजाओं में युद्ध होता है जिस प्रकार घोड़ा न थकता है और न बैठता है, उसी प्रकार शासक और प्रशासक को देवी का यह योग बैठने नहीं देता लेकिन शक्ति का संचार हर दिशा में होता है। इस बार यही योग है।


 * देवी मां यदि नाव पर आती हैं तो सर्वकार्य सिद्धि का योग बनता है।


पालकी यानी खर्च ज्यादा
पालकी या डोले पर सवार होकर मां आती हैं तो लक्ष्मी अस्थिर होती है। आय से ज्यादा व्यय होता है। प्राकृतिक आपदा का योग बनता है।
 

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