Edited By ,Updated: 30 Aug, 2016 04:26 PM
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। जब चंद्र सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है।
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। जब चंद्र सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है। आम भाषा में इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमे चंद्र, सूर्य व पृथ्वी एक ही सीध में होते हैं व चंद्र पृथ्वी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है।
सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या के दिन घटित होता है। पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पूर्णत अवरुद्ध हो जाता है। ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहण का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर होता है। वर्ष 2016 का आखिरी सूर्य खग्रास ग्रहण बृहस्पतिवार दिनांक 01.09.16 को घटित होने जा रहा है।
भारत के स्थानीय समयानुसार खंडग्रास सूर्य ग्रहण बृहस्पतिवार दिनांक 01.09.16 को दिन में 12 बजकर 44 मि॰ व 58 सैकंड पर प्रारंभ होकर शाम 4 बजकर 29 मि॰ व 31 सैकंड तक रहेगा। ग्रहण का सूतक गुरुवार दिनांक 1.09.16 को मध्यरात्रि 12 बजकर 44 मि॰ व 58 से प्रारंभ हो जाएगा परंतु गुरुवार दिनांक 01.09.16 को घटित होने वाला ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा अतः इसका धार्मिक दृष्टिकोण से शुभाशुभ प्रभाव भी मान्य नहीं होगा परंतु ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसका प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पड़ेगा।