Edited By ,Updated: 27 Jul, 2016 05:32 PM
आम आदमी पार्टी के 21 संसदीय सचिवों के मामले चुनाव आयोग ने भाजपा और कांग्रेस को झटका दिया है।
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के 21 संसदीय सचिवों के मामले चुनाव आयोग ने भाजपा और कांग्रेस को झटका दिया है। दरअसल इन दोनों पार्टियों ने इस मामले में पार्टी बनने की याचिका दी थी जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा कि अगर दलों की मदद की आवश्यकता होगी तो इन दोनों दलों की मदद ली जाएगी। फिलहाल इन्हें पार्टी नहीं बनाया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होनी है।
आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ के पद मामले पर सदस्यता पर तलवार लटकी है। बता दें कि मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका भेजकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए।
राष्ट्रपति नेे याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा। इसी के तहत आयोग ने आप विधायकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा। वहीं इस मामले पर आप विधायकों का कहना था कि वे सरकार से संसदीय सचिव के नाते कोई वेतन भत्ता या ऐसी कोई सुविधा नहीं ले रहे जो लाभ के पद के दायरे में आता हो। 21 तारीख को चुनाव आयोग में दिल्ली सरकार, कांग्रेस और बीजेपी को पक्षकार बनाने पर बहस पूरी हुई। आयोग ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा था की वो अपना फैसला बाद में सुनाएंग। लाभ के पद को लेकर भी संसदीय सचिवों के वकीलों ने अपना पक्ष रखा था।