उत्तराखंड:चमोली में आग बुझा रहे जवान की मौत

Edited By ,Updated: 02 May, 2016 08:07 PM

he death of the young in chamoli fires are extinguished

उत्तराखंड के जंगल भीषण आग की चपेट में हंै। जिसके चलते वन संपदा का तो नुकसान हो ही रहा है, ...

देहरादून: उत्तराखंड के जंगल भीषण आग की चपेट में हंै। जिसके चलते वन संपदा का तो नुकसान हो ही रहा है, जंगली जानवर भी मौत का शिकार हो रहे हैं। इन सबके बीच वनाग्नि पर काबू करने की कोशिश में इंसानों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। चमोली में आग बुझाते हुए सोमवार को एक सिपाही की मौत हो गई। चमोली के चाड़ा में आग बुझा रहा एक जवान पत्थर लगने से घायल हो गया। नजदीकी अस्पताल पंहुचाते वक्त जवान की मौत हो गई। इस वनाग्नि सात लोगों को अपना शिकार बना चुकी है। 
 
वहीं उत्तराखंड में पर्यावरणविदों का कहना है कि जब तक चीड़ के वनों को सीमित नहीं किया जाएगा तब तक वनाग्नि से राहत नहीं मिल सकेगी। वनों में लगी आग से झुलस रहे पहाड़ों को बचाने के लिए दीर्घ कार्य योजना तैयार करनी होगी। तभी पहाड़ों को बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिवर्ष चीड़ के जंगलों को कम करके उसके स्थान पर चौड़ी पत्ती के फलदार पौधे लगाए जाने से जंगली जानवरों को जंगल में ही रोका जा सकता बल्कि भू-गर्भ जल स्तर को भी ऊपर लाया सकता है। 
 
पर्वतीय क्षेत्र में हर साल जंगलों में आग के कारण करोड़ों रुपयों की वन संपदा नष्ट होती है तथा जनजीवन भी अस्त व्यस्त होता है। जल स्रोत सूख जाते हैं। उन्होंने कहा कि अस्थाई उपाय के बजाय लंबी अवधि की योजना बनाकर ही दावानल से निजात मिल सकती है। वन विभाग प्रतिवर्ष बरसात में पौधरोपण तो करता है लेकिन अधिकांश पौधे इस दावानल से झुलस जाते हैं। 

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