Edited By ,Updated: 29 Sep, 2015 08:53 AM
श्राद्ध, आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाते हैं। जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है, उनकी कुर्बानियों व योगदान को स्मरण करने के ये 15 दिन होते है।
श्राद्ध, आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाते हैं। जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है, उनकी कुर्बानियों व योगदान को स्मरण करने के ये 15 दिन होते है। इस अवधि में अपने बच्चों को परिवार के दिवंगत पूर्वजों के आदर्श व कार्यकलापों के बारे में बताएं ताकि वे कुटुम्ब की स्वस्थ परंपराओं का निर्वाह करें।
यों तो संपूर्ण वर्ष में 96 श्राद्ध के अवसर आते हैं परंतु आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस तक का समय श्राद्ध या महालय पक्ष कहलाता है। इस वर्ष पितृ पक्ष 27 सितंबर से 12 अक्तूबर तक होगा। आश्विन मास का कृष्ण पक्ष श्राद्ध के लिए तय है।
दिवंगत परिजनों के विषय में वास्तुशास्त्र का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। घर में पूर्वजों के चित्र सदा नैर्ऋत्य दिशा में लगाएं। ऐसे चित्र देवताओं के चित्रों के साथ न सजाएं। पूर्वज आदरणीय एवं श्रद्धा के प्रतीक हैं, पर वे ईष्ट देव का स्थान नहीं ले सकते। जीवित होते हुए अपनी न तो प्रतिमा बनवाएं और न ही अपने चित्रों की पूजा करवाएं। इसे किसी भी प्रकार शास्त्र सम्मत नहीं माना जा सकता।