Edited By Tanuja,Updated: 24 Jul, 2019 02:58 PM
पुस्तकें इंसान का जीवन बदल सकती हैं अगर उन्हें पढ़ा, समझा और जीवन मे उतारा जाए
नई दिल्लीः पुस्तकें इंसान का जीवन बदल सकती हैं अगर उन्हें पढ़ा, समझा और जीवन मे उतारा जाए। ये कहना है दिनेश गुप्ता का। 1997 से उनको इंस्पिरेशनल और मोटीवेशनल पुस्तक पढने का जुनून छा गया। उन्होंने इंफेरिअर काम्प्लेक्स से निपटने के लिए शिव खेडा की " जीत आपकी " पुस्तक पढ़ी। तभी से उन्होंने मोटिवेशनल पुस्तक का कलेक्शन करना और पढ़ना शुरू कर दिया।
हिंदी, मराठी, अंग्रेजी तथा और भाषा के पुस्तक पढ़ते पढ़ते वह स्वयं लेखक तथा मोटिवेशनल स्पीकार ( समुपदेशक) बन गए। दिनश गुप्ता ने 9 पुस्तके लिखी हैं। उनके पास इस समय 3200 से अधिक पुस्तकें हैं। कई पुस्तकें तो दीपक ने अलग अलग संस्थओं को दान के रूप में भी दी हैं।
दिनेश जी के इसी अलग सोच, शौक और जज्बे ने उनका नाम " कर्नाटक अचीवर्स बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया । इसके साथ दिनेश गुप्ता को उनके अलग अलग क्षेत्र में योगदान के लिए " सुपर अचीवर्स सिरिज अवार्ड 2019 " से भी नवाजा गया है। दिनेश का कहना है कि आज के परिवेश में पुस्तको का महत्व कम हो रहा है यह बड़ी चिंताजनक बात है। आज भी किताबे हमारे देश मे सस्ती हैं। बस समय निकाल कर किताबे पढ़ना शुरू करें।
इसी अवसर पर उनकी पुस्तक " दैनिक जीवन मे भगवद गीता " का विमोचन अनूप जलोटा जी के करकमलों से किया गया। अनूप जी ने आनंदश्री की तारीफ करते हुए कहा कि जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते है इतिहास उन्हें हमेशा याद करता है। इस अवसर पर दिनेश गुप्ता को अनूप जलोटा ने आरोग्य सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया। इस मौके पर पारिवारिक सदस्य तथा पुस्तक के प्रकाशक डॉ योगेश जोशी उपस्थित थे।