स्मार्टफोन बने मानसिक रोग एंव बेरोजगारी बढ़ने का कारण

Edited By Tanuja,Updated: 18 Jun, 2019 01:32 PM

disadvantage of smart phones

आज के दौर की सबसे बड़ी मुश्किल अभिभावकों के लिए यह है कि मौबाइल से बच्चों को कैसे दूर रखा जा सकें

आज के दौर की सबसे बड़ी मुश्किल अभिभावकों के लिए यह है कि मौबाइल से बच्चों को कैसे दूर रखा जा सकें। क्योंकी मौबाइल के आनलाइन गेम्स बच्चों को इतना प्रभावित एवं रोंमचित कर रहे हैं कि बच्चे अब परम्परागत खेलों से दूर होते जा रहे हैं जो कि उनके स्वास्थय एवं मानसिक स्वास्थ के लिए अत्यन्त उपयोगी है । यदि हम मौबाइल के आनलाइन गेम्स का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ कर देखें तो यह पता चलता है कि बच्चों एंव छात्रों के अन्दर अवसाद की दर तेजी से बढ़ रही है । बच्चों मे आक्रामकता , चिड़चड़ापन , आलस्य , अकेलापन , देर से सोकर उठना तथा कम उम्र मे ही चश्मा लग जाना बेहद चिन्ता का विषय है।

इसी कारण उच्च शिक्षण संस्थानों मे रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक वाईफाई सुविधा बन्द कर दी गई है परन्तु स्वतन्त्र रूप से स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले छात्र इसकी पूरी गिरफत मे आ चुके है । अब सवाल यह उठता है कि ऐसे क्या उपाय किए जाए जिससे बच्चों एंव छात्रों को मोबाईल के अधिक प्रयोग से रोका जा सके यह एक गंभीर विषय है इस पर समाज के सभी वर्गाे को चिंतन की आवश्यकता है । जब विकास होता है तो उसके कुछ दुष्परिणाम भी होते है स्र्माटफोन आज के युग की आवश्यकता है परन्तु बच्चों के भविष्य के लिए अभिशाप बनता जा रहा है।

पोकिमोन , ब्लू व्हेल , पबजी जैसे घातक आनलाइन गेम्स न जाने कितने बच्चों की जान ले ली है अभी कुछ समय पहले ही न्यूजीलैंड मे एक सरफिरे ने पबजी आनलाइन गेम से प्रेरित होकर सैकड़ो लोगो को मौत के घाट उतार दिया था। चाईना , नेपाल , इराक तथा भारत के गुजरात राज्य के सूरत , बड़ोदरा एंव राजकोट जैसे शहर मे पबजी जैसे प्रचित गेम बैन किया हुआ है । समस्त भारत मे इन गैम्स को पूरी तरहा बैन करने के साथ साथ आने वाले नए गेम्स पर भी पेनी नजर सरकार को रखनी होगी ताकि बच्चों का स्वास्थ अच्छा रह सके ।क्या स्र्माट फोन सभी के लिए आवश्यक है ? क्या इनका भी लाइसेन्स होना चाहिए है ? क्या इनका इस्तेमाल पर नियन्त्रण आवश्यक है ? यदि हाॅ तो इनके लाईसेन्स प्रक्रिया अपना कर इस समस्या का काफी हद तक निदान किया जा सकता है । इंटरनेट डाटा को महॅगा कर के भी इस समस्या पर अकुॅश लगाया जा सकता है क्योकी अधिकांशयुवा नेट का इस्तेमाल फिजूल के कार्य मे ही खर्च करते हैं।

यदि कोई स्मार्ट फोन खरीदना चाहता है तो उसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि उसको इसकी क्यों आवश्यता है क्या वह फोटोग्राफर , पत्रकार , टूयरिस्ट गाइड , चित्रकार या किसी अन्य व्यक्ति किसी विशेष प्रायोजन के लिए स्र्माट फोन लेना चाहता है तो उसका पूरा यदि ब्यौरा जमा करा कर ही इसको खरीदने एंव प्रयोग करने की अनुमति मिलनी चाहिए अन्यथा नही । स्मार्ट फोन को दूसरा पहलू और भी अधिक खराब व खतरनाक है वो है पौर्न मूवी जो कि बहुत ही आसानी से इन पर देखी जा सकती है , कम उम्र के बच्चों एंव व्यस्कों के अन्दर इन फिल्मों को देखकर मानसिक विकृति पैदा हो रही है। स्मार्ट फोन के कारण लड़कियों को ब्लैकमेलिंग की घटनाओं मे भी वृद्धि देखी जा रही है अभी हाल ही मे अलीगढ़ के टप्पल मे हुई बच्ची के साथ दारन्दगी इसका ज्वलन्त उदाहरण है ।

बढ़ती हुई बेरोजगारी मे कहीं न कही स्र्माट फोन का भी योगदान है न जाने कितने लोगो का रोजगार स्र्माट फोन न बहुत ही स्र्माट तरीके से छीन लिया है उसमे फोटोग्राफर , आडियों कैसटस , विडियो कैमरा , साठइबर कैफे आदि का स्थान तथा पाकेट डायरी , घड़ियां , टार्च , कैमरा आदि जैसे समान की ब्रिकी बहुत कम हो गई है । स्र्माट फोन द्धारा आन-लाइन शापिंग ने बेरोजगारी बढ़ाने मे आग मे घी डालने का कार्य किया है। यदि शीघ्र ही स्र्माट फोन के सही इस्तेमाल के लिए उचित कदम नही उठाए गए तो आने वाले वर्षो मे सबसे ज्यादा मानसिक रोगी , नेत्र रोगी , दुर्बल बच्चों की संख्या मे बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी जो हमारे देश और आने वाली पीड़ियों को कमजोर बनाकर रख देगीं।
                                                                                                                                         

                                                                                                                            अनुराग भटनागर , एडवोकेट बिजनौर , उ0प्र0
 

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