Edited By pooja,Updated: 03 Sep, 2018 02:47 PM
जब से तू मेरा मुस्तकबिल नही रहा।
> दिल कुछ सोचने के काबिल नही रहा।
जब से तू मेरा मुस्तकबिल नही रहा।
> दिल कुछ सोचने के काबिल नही रहा।
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> हँसी लूटी,सपने टूटे ,ग़म भी मेरा लूटा
> जिंदगी में कुछ भी हासिल नही रहा।
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> पूछे है मेरी कशती किस पार मैं जाऊ
> कैसे कहू पास मेरे , साहिल नही रहा।
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> दौर ए जाम चलता था ,जिसके होने से
> आज वही शख्स तेरी महफिल नही रहा।
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> होश में रहने लगा है अब ये दिल भी
> पहले जैसा अब ये ग़ाफ़िल नही रहा।
> सुरिंदर कौर
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