Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Apr, 2018 02:49 PM
हिज्र के काँच चुभे है हाथ की लकीरों में। इशक ने बैठा दिया ला कर हमे फकीरों...
हिज्र के काँच चुभे है हाथ की लकीरों में।
इशक ने बैठा दिया ला कर हमे फकीरों में
ख़ता तो इतनी बड़ी नही, मेरी सैय्याद मेरे।
जकड़ के क्यू रखा है फिर मुझे जंजीरों मे।
ढूँढने से तो सुना है ,खुदा भी मिल जाता है,
लेकिन क्या पता,क्या लिखा है तकदीरों मे।
मेरी हस्ती पे ,गर तेरा करम बना रहे मालिक,
निकाल लूँगी मै राह ,लड़ कर तदबीरों से।
जीना है, तो जिंदगी में करम कर तू ऐ बंदे,
वक्त न ज़ाया कर ,सुनने को तहरीरों में।
सुरिंदर कौर