Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 May, 2018 02:05 PM
कभी धरती उबलेगी, कभी आसमान उबलेगा, वृक्ष ओर पानी खत्म होने दो इंसान उबलेगा...
कभी धरती उबलेगी,
कभी आसमान उबलेगा,
वृक्ष ओर पानी खत्म होने दो इंसान उबलेगा ।
देखते हैं कितना काम चलेगा पत्थरों की छांव से,
कैसे पार लगेगा लोहे की नाव से,
पीढ़ियों को चोट लगेगी फिर ही सुधरेगा,
वृक्ष ओर पानी खत्म होनो दो इंसान उबलेगा ।
पेड़ों को काट मंदिर खड़े कर,
नदियो की जमीनों पर इमारतें खड़ी कर,
देखते हैं वो कितने मजे लेगा,
वृक्ष ओर पानी खत्म होनो दो इंसान उबलेगा ।
गर्मियो में पक्षियो की प्यास को देख,
अभी तो सब कुछ तवाह नहीं हुआ
फिर भी उनकी तलाश को देख,
कुदरत के प्रकोप से एक पल में
इमारतों का जंगल उजड़ेगा,
वृक्ष ओर पानी खत्म होनो दो इंसान उबलेगा ।
कुछ दशक ओर कर ले मनमानी,
किसी को तो इन भूलों की कीमत है चुकानी,
सब कुछ उसी में समा जाएगा,
पेड़ और पानी के लिए तरसती धरती का मुंह जब खुलेगा,
वृक्ष ओर पानी खत्म होनो दो इंसान उबलेगा ।
संदीप गर्ग
931618800