आदमी यूं आजकल बरसाता जा रहा है कहर...

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jun, 2018 02:21 PM

man is going to rain nowadays

आदमी यूं आजकल बरसाता जा रहा है कहर। ये घरों के जंगल, नही रहे है कही भी...

आदमी यूं आजकल बरसाता जा रहा है कहर।
ये घरों के जंगल, नही रहे है कही भी ठहर।

 

कुदरत को दोष दे हमेशा,घर उजाङने का,
खुद कितने परिन्दो को,ये कर देता है बेघर।

 

भीषण गर्मी पडने लगे तो ऐ सी मे जा बैठे,
अरे पागल इसको रोकने का भी उपाय कर।

 

जंगल कटे हरे तो,कंकरीट का ज॔गल उगा ,
अब कैसे कहे इससे थोङी तो छाया तू कर।

 

कहीं बाढ,कहीं सूखा,झेले गर्मी और सर्दी तू,
अच्छा होता गर तू लेते,थोङे में ही सब्र कर।

 

इतने महल मत बना,कुछ जमीं भी तू ले बचा
मरने के बाद,मयस्सर कैसे होगी फिर कब्र।

 

सुरिंदर कौर
 

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