नहीं यकीन तुमको है नहीं यकीन मुझको...
Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2018 01:55 PM
नहीं यकीन तुमको है नहीं यकीन मुझको फिर ये खत दर खत गुफ़्तगू क्या...
नहीं यकीन तुमको है नहीं यकीन मुझको
फिर ये खत दर खत गुफ़्तगू क्या है ।।1।।
पा ही लिया होता सब जो तुमको पा लिया होता
वरना साँसों में उभरता जुनूँ क्या है ।।2।।
खुदाई से मिला पर खुदा ही कब मिला
किसे कहते हैं और ये शुकूँ क्या है ।।3।।
सब अमन है मुल्क में अखबार रोज़ कहता है
शफ़ाक़त के माथे पे स्याह गेशूं क्या है ।।4।।
कह गए महफिलों में सारी हसरतें यकीनन
पर ग़ज़ल का मक़सद और मौजूँ क्या है ।।5।।
सलिल सरोज