Edited By Riya bawa,Updated: 06 May, 2020 04:38 PM
आंखो में सपने है तेरे, पल पल चलना तेरी फितरत है।
थम जा आपनी कुटिया मे तू, दो पल की ये...
आंखो में सपने है तेरे, पल पल चलना तेरी फितरत है।
थम जा आपनी कुटिया मे तू, दो पल की ये अटकल है॥
गतिशील है, अविराम है, पानी सा तू बहता है।
निर्मल, कोमल, स्वच्छ ये धारा, इसको भी अब रुकना है॥
स़ंयम रख, ज्ञान बढा, अब कुछ पग मेरे संग चलना है।
नई ऋतु का आगमन है, यह कुछ समय तो लेता है॥
नई बहारो का दृश्य , सदैव अलौकिक होता है।
गर देखनी हो नई बहार तो, प्रकृति का नियम निभाना है॥
रहे घरों में सुरक्षित अपने, अपनों को भी यह समझना है।
साक्षी होगे हम नए समय के, बस इतनी सी बात समझना है॥
(गनपती सराटकर)