इतनी खूबसूरती से लगाती हूं चेहरे पे चेहरा

Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Aug, 2019 03:14 PM

poetry

इतनी खूबसूरती से लगाती हूं चेहरे पे चेहरा।

इतनी खूबसूरती से लगाती हूं चेहरे पे चेहरा।

मुरझाया चेहरा भी लगे जैसे ख्वाब सुनहरा।

आंखों की चमक देख कर कह न सकोगे, इन आंखों में कभी होगा कोई दर्द ठहरा।

मुस्कुराहट देख , ऊंगली दांतों तले दबा ले भांप न पाएकोई ,क्या राज यहां है गहरा ।

झील सी आंखों में सब डूबने को है तैयार कौन जाने इन में,बसता है सिर्फ सहरा।

ये दोहरे किरदार निभाते ,थक गई हूं मैं कभी मिलू खुद को ,

हटा चेहरे से चेहरा।
सुरिंदर कौर

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