कविता - पापा

Edited By Riya bawa,Updated: 12 May, 2020 03:35 PM

some lines dedicated to father

लड़खड़ाते हुए कदमो को थामा था जिन हांथो ने दुनिया देखी थी बैठ कर जिन कंधो पे हमारे सपनों को पूरा किया जिन आँखों ने...

लड़खड़ाते हुए कदमो को थामा था जिन हांथो ने
दुनिया देखी थी बैठ कर जिन कंधो पे
हमारे सपनों  को पूरा किया जिन आँखों ने
अब बस उनका अस्क थाम लेता है
फिर से हमारे लडखडाते हुए जीवन को
उनकी यादो के कंधे
फिर से दिखाते है दुनिया हमें
अब दिन पे दिन बस जीते है हम
आपके अस्क के साथ, मां के साथ
इंतजार है हमें
बस आपकी डांट का,
आपके साथ का और एक एहसास है,
साथ हर पल हर लम्हा बस आप है
है, आप ................... पापा

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