अंतराष्टरीय नशा निषेध दिवस 26 जून पर विशेष लेख

Edited By Riya bawa,Updated: 26 Jun, 2020 04:57 PM

special article on international drug abuse day 26 june

बेशक प्रतिवर्ष 26 जून 2020 को पूरी दुनिया में अंतराष्टरीय नशा निषेध दिवस मनाया जा रहा है मगर हर साल औपचारिकता ही निभाई जाती है। संकल्प लिया जाता है दावे किए ...

बेशक प्रतिवर्ष 26 जून 2020 को पूरी दुनिया में अंतराष्टरीय नशा निषेध दिवस मनाया जा रहा है मगर हर साल औपचारिकता ही निभाई जाती है। संकल्प लिया जाता है दावे किए जाते है। अंतराष्टरीय स्तर पर नीतियां बनाई जाती है। मगर धरातल पर कुछ नहीं होता। नशे के सेवन को रोकने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। नशा एक धीमा जहर है। दुनिया के देशों में नशा करने वालों की मृत्यु दर भी बढती जा रही है।तमाम दावों के बावजूद नशा नहीं रुक रहर है। प्रतिवर्ष लाखों लोग दुनिया में नशें के कारण अकाल मौत मर रहे है। पूरी दुनिया के देशों में जागरुकता अभियान चलाए जाते है।सैमीनार लगाए जाते है।नशे के दुष्परिणामों के बारे में विशेषज्ञों द्वारा लोगों को सलाह दी जाती है। 

एक दिन ऐसे दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा। देशों की एकजुटता से ही नशे को रोका जा सकता है।दुनिया में नशीले पदार्थो की तस्करी की खबरे समाचार पत्रों में प्रकाशित होती है।नशीली दवाएं पकड़ी जाती है। आज कोकीन,अफीम, गांजा ,हैरोईन व हशीश व ब्राउन शुगर तथा चरस व भंग जैसे नशे किए जा रहे है। आज बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नशे के गुलाम बन चुके है। नशा आज स्टेटस सिबंल बन चुका है।कैसी विडंबना है कि मानव को नशे से होने वाली बीमारियों का पता है फिर भी खुद ही मौत को दावत दी जाती है।पुरुष तो नशा करते ही है मगर आज महिलाए भी नशें की गिरफत में आ चुकी है।दर्जनों प्रकार के नशों को करती है।दुनिया में नशा करने वाले लोगों की संख्या में वृ़ि़द्ध बहुत ही चिंताजनक है। नशा छुड़ानें के लिए नशा मुक्ती केन्द्र खोले जा रहे है। बीते 31 मई 2020 को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस मनाया गया मगर ऐसे दिवस औपचारिकता भर ही रह गए है।युवा पीढी़ नशें की गुलाम हो चुकी है।दुनिया भर के युवा नशे की अंधी गलियों में भटक चुके है। युवाओं को बाहर निकालना हरेक का नैतिक कर्तव्य है।दुनिया में हर साल लाखों युवा नशे के कारण असमय ही मौत के आगोश में समाते जा रहे है।नशा निषेध दिवस पर एक संकल्प लेना होगा। नशेडी होती जा रहे युवा नशे की सब कुछ मान बैठे है।

आज छोटे-छोटे बच्चे नशे के आदी हो चुके है। अभी उनके दूध के दांत भी नही। टूटे है कि मगर ऐसे नशे करते है कि रुह कापती है।आजकज चिटटे व डोडे व भुककी व बूट पालिस व गंदे से गंदा नशा किया जा रहा है।शराब व दवाओं का नशा किया जा रहा है। हर रोज चिटटे व हैरोइन के अवैध कारोबार करने वालों को पकड़ा जा रहा है। नशा आज एक फैशन बन चुका है।नशें के कारण आज कई घरों के चिराग बूझ गए तो कुछ जेलों में चक्की पीस रहें है।जेलों में सड़ रहे है। अक्सर देखा गया है कि उच्च घरानों के युवा मंहगें नशें कर रहे है। नशें के बिना रह नहीं सकते। जिंदगियां दाव पर लगा चुके है।जिंदा लाशें बनते जा रहे है।

लाईलाज बीमारियों से ग्रस्त होते जा रहे है। आज लाखों युवा नशें के कारण मर चुके है। नशें की दलदल में धसतें जा रहे है।इस दलदल से निकला बहुत ही मुशिकल है।आज मां-बाप दुखी है कि उनके चिराग नशें की गिरफत में आते जा रहे है। आज नशे के सौदागर युवाओं के भविष्य खराब करते जा रहे है। अगर युवा ही नशें का प्रयोग करेगा तो आने वाला कल अंधकारमय ही होगा।युवा के कंधों पर देश टिका है मगर यह कंधें थक चुके है।नसों में नशा भर चुका है। जवान काया शिथिल होती जा रही है।नशे के कारण सड़क हादसों में हर साल लाखों युवा बेमौत मारे जा रहे है।सरकारों को राजस्व प्राप्त होता है। सरकारों को कर्णधारों की कोई फिक्र नहीं हेैं।राजस्व से ही खजाना भरा जा रहा है। युवा मर रहे है। चंद मिन्टों के मजे के लिए अनमोल जीवन बरबाद कर रहे है।युवतियां भी नशे की दलदल में फंस चुकी है। समाचार पत्रों में डरावने समाचरों से पता चलता है कि आज लड़कियां भी चार कदम आगे जा चुकी है। सिगरेट व अन्य चरस जैसे नशे शरीर के अंगों को प्रभवित करती है। दुनिया में कैंसर व तपेदिक व गले के कैसर से मौतों का आंकडा़ हर साल बढ़ता ही जा रहा है।

अगर इन नशे को नहीं रोका तो आने वाले साालों में भयावह परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। नशा समाज व देशों के लिए नासूर बन गया है। नशे को मिटाने की कसम लेनी होगी। आज नशें के कारण इकलौते बच्चे मारें जा रहे है। नशें के लिए पैसा न मिलने केे लिए मां-बाप को मौत के घाट उतारा जा रहा है। सामने मर रहे है।अगर सरकारों ने अभी भी कुभंकरणी नींद न तोड़ी तो फिर सब कुछ लुट जाएगा। नशे के कारण अपराधों में इजाफा हो रहा है।समाज को इस बुराई पर मंथन करना होगा ताकि चिरागों को बचाया जा सके।तम्बाकू उत्पादों पर रोक लगानी होगी।अगर दुनिया की सरकारें चाहे तो क्या नहीं कर सकती। राजस्व के लिए और भी साधन है।ऐसा राजस्व किस काम जो युवाओं की मौत से प्राप्त हो रहा है।युवाओं की बलि ली जा रही है।नशें का कारोबार करने वालों परदंडात्मक कारवाई करनी होगी। स्कूलों व कोलेजों के सौ मीटर के दायरे में धूम्रपान बेचने वालों को सजा दी जाए जो चंद चांदी के सिक्कों की कमाई के लिए युवाओं का जीवन लील रहे है।लावारिस लाशें मिल रहीं है। युवाओं को बचाना हमारी जिम्मेवारी है।अपराध की जननी नशा ही है। नशें के कारण दंगें व फसाद होतें जा रहे है। नशें में अंधा होकर दुष्कर्म किए जा रहे है। 

युवा अनमोल पूंजी है।युवा देश की धरोहर है।समाज में एक कमेटी गठित करनी होगी तभी यह नशा बंद हो सकता है।नशा करने वालों को समाज से बहिष्कृत किया जाए उनका हुक्का पानी बंद किया जाए ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके और युवाओं का जीवन बचाया जा सके।सामाजिक संस्थाओं को नशे के खिलाफ अभियान चलाने होगें।युवा ही देश को आगे ले जा सकते है।समय अभी संभलने का है।समाज को नशें के विरुद्ध आवाज उठानी होगी।ताकि युवाओं का भविष्य संवर सके। अगर समाज अब भी नहीं जागा तो युवा नशें की दलदल में धंसता जाएगा। समाज से इस बुराई को जड़ से मिटाना होगा। नशे को बंद करने के लिए कानून बनाना चाहिए। 

हर राज्यों की सहभगिता हो तो नशे पर लगाम लग सकती है। नशा मुक्ती केन्द्र खोलने चाहिए ताकि युवाओं की काउंसलिग की जा सके। सरकार को बिना समय गंवाए इस पर रोक लगानी होगी ताकि युवाओं की पीढ़ियां बचाई जा सके। आने वाली पीढ़ीओं को नशे को त्यागना होगा।जीवन को मत गंवाओ जीवन एक बार ही मिलता है।दुनिया के सभी देशों को सर्तकता बरतनी होगी। नशे का खात्मा करना होगा।नशे का सेवन रोकना होगा।दुनिया के तमाम देशों की भागीदारी से ही नशे को रोका जा सकता है।तभी ऐसे अंतराष्ंटरीय नशा निषेध दिवसों की सार्थकता होगी।

(नरेंद्र भारती)

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