Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Jun, 2019 01:59 PM
आमतौर आपने सुना एंव पढ़ा होगा कि वन ही जीवन है और पर्यावरण का संरक्षक है खूब पेड़ लगाओ, हर व्यक्ति को अपने जीवन मे पेड़ लगाना चाहिए आदि आदि इस प्रकार के न जाने कितने जुमले आपने सुने एंव पढ़े होंगे
आमतौर आपने सुना एंव पढ़ा होगा कि वन ही जीवन है और पर्यावरण का संरक्षक है खूब पेड़ लगाओ, हर व्यक्ति को अपने जीवन मे पेड़ लगाना चाहिए आदि आदि इस प्रकार के न जाने कितने जुमले आपने सुने एंव पढ़े होंगे परन्तु क्या आपको कभी किसी ने ये बताया कि आप पेड़ कहाॅ पर लगा सकते हो? या कहाॅ पर लगाने चाहते हो? अधिकाॅश लोगो का जवाब होगा नही! तो फिर इस प्रकार की गौष्ठीयों एंव प्रचार करने का क्या लाभ जिससे इस महान उद्देश्य की पूर्ती ही न होती हो। वास्तव मे सरकारी विभाग खानापूर्ती करने के लिये ही पर्यावरण दिवस, वन महोत्सव आदि का आयोजन करते है इन आयोजनो के करने से कितना लाभ पर्यावरण को पहुंचा है या पहुॅचना चाहिए इसके लिये गम्भीर नही है और न ही आंकलन करते हैं।
एक मनुष्य को सालभर मे औसतन 750 किलोग्राम आक्सीजन की आवश्यकता होती है जबकि एक व्यस्क वृक्ष साल भर मे लगभग 118 किलोग्राम आक्सीजन का उत्पादन करता है आप इसी तथ्य से वृक्ष के महत्व को समझ सकते है । इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 5 वृक्ष अपने जीवन काल मे अवश्य लगाने चाहिए क्योकीं हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसके बच्चें सदा स्वस्थ एंव आनन्द मे रहे बच्चों के लिये वह बैंक बैलन्स , भूमि , मकान आदि की व्यवस्था तो करना चाहता है परन्तु यह भूल बैठा है कि जब सांस लेने के लिये शु़द्व वायु ही शेष नही रहेगी तो इन सब वस्तुओं का क्या लाभ उसके बच्चों को मिलेगा, यह बहुत ही गम्भीर विषय है परन्तु लोग इसके बारे मे बिल्कुल भी गम्भीर नही है ये दुर्भाग्य नही तो क्या है जैसा कि आप सभी जानते है कि वन के बिना जीवन संभव नही है पर्यावरण मे प्राणदायक शु़द्व आक्सीजन , वर्षा कराने मे सहायक , मटटी के कटान रोकने , लकड़ी उत्पादन, औषधी एंव जंगली जीव जन्तुओं को आश्रय आदि देने मे वनो का महत्वपूर्ण योगदान है फिर भी वन संरक्षण के प्रति इतनी उदीसीनता क्यों है ?
किसानो द्धारा खेतों की हद बन्दी यदि वृक्ष रोपण के द्धारा कर दी जाये तो किसानो की आय के साथ साथ वातावरण की शु़द्धता मे भी वृद्धि की जा सकती है इस प्रकार की हदबन्दी द्धारा वृक्ष अधिक मात्रा मे लगेगें जिसके कारण वर्षा भी अधिक होगी , सूखे जैसे समस्या का भी सामना किसानों को नही करना पड़ेगा। वास्तव मे बहुत अधिक भूमि आज भी ऐसी ही खाली पड़ी हुई जहां पर न तो कोई कृषि हो रही है और न ही वृक्षरोपण इसका उदाहारण रेलवे के द्धारा अधिकृत भूमि का लिया जा सकता है यदि रेलवे ही अपनी जरूरत मे न आने वाली अधिकृत भूमि पर वृक्षरोपण के लिये गम्भीर हो तो हमारे देश मे बहुत अधिक संख्या मे वृ़क्षरोपण का कार्य सफलता पूर्वक किया जा सकता है और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने मे सहायता मिल सकती है।
जहाॅ पर वन नही होते है तो वह स्थान धीरे-धीरे रेगिस्तान मे परिवर्तित हो जाता है इसका उदाहारण राजस्थान राज्य है जहाॅ सैकड़ो वर्ष पर कभी हरियाली एंव वन सम्पदा हुआ करती थी कभी सरस्वती जैसी बड़ी नदी भी गुजरात से राजस्थान होती हुई प्रयागराज ; इलाहाबाद द्ध तक बहती थी अब विलुप्त हो चुकी है इसके उपरान्त भी वनो का अंधाधुध कटान होता गया और उसका फल यह निकला की अब वहाॅ पर रेत के बड़े बड़े टीले दिखायी पड़ते है तथा वर्षा का स्तर एंव भूगर्भ जल भी बहुत निचले स्तर पर पहुॅच गया। वनो के कटान के कारण ग्लोबल वार्मिंग होने लगी है , ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है , सर्दी का मौसम भी लगतार छोटा होता जा रहा है गंगा जैसी बड़ी एंव महान नदी के जलस्तर मे भी प्रति वर्ष कमी देखी जा रही है इसके पीछे भी वनो का कटान ही है सरस्वती नदी का विलुप्त होने का कारण भी वनो का सरंक्षण न हो पाना ही है यदि वनों का संरक्षण एंव रोपण न किया गया तो सरस्वती जैसा ही हाल गंगा नदी का भी हो जाएगा तथा ये महान नदी भी इतिहास का हिस्सा बन जायेगी ।
यदि कोई व्यक्ति भूमिहीन है तथा वृक्षरोपण करना चाहता है तो वृक्षरोपण कहाॅ कहाॅ पर कर सकता है इस प्रकार की भूमि को चिन्हित करके इसकी सूचना प्रत्येक तहसील एंव ब्लाक स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए तथा प्रत्येक वर्ष इस प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित करने की आवश्यकता है किस व्यक्ति ने कितने वृक्षों का रोपण किया और उनके द्धारा रोपित किये गये पौधे की वर्तमान मे कितनी देखभाल उसके द्धारा की गयी है , ऐसे पर्यावरण रक्षक को वन विभाग द्धारा पुस्कृत एंव सरकारी योजनाओं मे शामिल करने का प्रावधान होना चाहिए । वन संरक्षण एंव रोपढ़ को बढ़ावा देने के लिये यदि हथियारों के लाईसेन्स , ठेकेदारी का लाईसेन्स , शराब की दुकानो का आवंटन या अन्य किसी सरकारी लाईसेन्स के लाभ उठाने वालो पर कम से कम 100 वृ़क्ष रोपने एंव उनकी पूरी देखभाल करने का दायित्व निभाने का प्रमाण पत्र अनिवार्यता से लागू कर करने से भी वन संरक्षण एंव वृक्ष रोपण को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
सभी लोग जानते है कि जिस स्थान का वातावरण शुद्ध होता है वहाॅ लोग बहुत कम बीमार पड़ते है तथा दीर्घ आयु जीते है यही कारण है कि हरे भरे पहाड़ी क्षेत्रों मे बहुत ही कम रोगी आपको देखने को मिलेगे तथा शुगर, हाईब्लडप्रेशर, कैंसर , टीबी , आदि गम्भीर रोगियों की संख्या इन क्षेत्रों मे बहुत कम होती है इसके पीछे इन स्थानो का शुद्ध वातावरण ही है वहीं दूसरी ओर आप दिल्ली जैसे शहरों को देखे तो प्रत्येक 3 मे से 1 व्यस्क किसी न किसी रोग से ग्रस्त है तथा सर्दी के मौसम मे यहाॅ पर श्वास लेना भी मुश्किल हो जाता है क्योंकी यहाॅ का वातावरण पूर्णतया दूषित हो चुका है ।
भारत मे केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्धीप मे सबसे अधिक 90 प्रतिशत वनक्षेत्र है वहीं दूसरी ओर हरियाणा राज्य में सबसे कम 3ण्59 प्रतिशत कुल वनक्षेत्र है जबकि समस्त भारत मे केवल 23.68 प्रतिशत वन क्षेत्र है । यदि हम विकसित देशों पर दृष्टि डाले तो ये देश वनक्षेत्र के मामलों मे भी बहुत आगे है स्वीडन मे 68.95 , जापान 67.00 , रशिया 49.40 , कनाडा 49.24 , फ्रांस 36.76 तथा अमेरिका में 33.84 प्रतिशत वनक्षेत्र है जबकि दूसरी ओर इन देशों मे जनसंख्या घनत्व भारत की अपेक्षा बहुत कम है इन आंकड़ों से आप इन देशों के वातावरण एंव शुद्ध आक्सीजन के स्तर का अनुमान आसनी से लगा सकते है । मेरा तो यही मानना है कि माता पिता एंव संरक्षक अपने बच्चों के लिये अच्छी शिक्षा , गाड़ी , बंगला आदि की व्यवस्था करने के साथ साथ उनके रहने के लिये शुद्ध वातावरण के बारे मे भी यदि गम्भीरता से विचार करते हुऐ वृ़क्ष रोपण एंव संरक्षण को अपनी दैनिक जीवन से जोड़ कर चले तो हमारे बच्चों के अच्छे स्वास्थय के साथ साथ हमारे देश के सशक्तीकरण मे बहुत सहायता मिलेगी तथा हमारा देश पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर हो जाएगा। अनुराग भटनागर , एडवोकेट