आज की हिन्दी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Apr, 2018 02:45 PM

today hindi

जिन्दगी के पहले शब्द भूल चुके सब । भारत में रहते हुए हिन्दी भूल चुके,,,

जिन्दगी के पहले शब्द भूल चुके सब ।
भारत में रहते हुए हिन्दी भूल चुके सब ।
 
ग्रंथो पुराणों को पुराना कर दिया ।
मेरी साथी सांस्कृतिक को सब से पीछे कर दिया ।
 
थी बात 15 अगस्त 1947 की जब भारत आज़ाद हुआ।
मेरी किस्मत की ताली का फैसला तब हुआ आबाद हुआ ।
 
मेरी बेहेन उर्दू को मुझ से अलग कर दिया ।
चंद राजनीतिक लोगो के कारण मुझे अकेला कर दिया ।
 
थी मैं अकेली आपने अस्तित्व को देख रही थी। 
अंग्रेजी मुझे देख कर हँसा करती थी ।
 
खूब रोई जब भारत का कानून अंग्रेजी में बना ।
मेरा क्या अस्तिव आज पता चला ।
 
चंद लोगो के कारण के अस्तिव खो बैठी ।
हिन्दी होकर भी सब से अलग हो बेठी ।
 
शोर करती एक नन्ही सी पारी देखी ।
तोतली जुबान पर अपनी एक शवि दिखी ।
 
प्यारी सी बेटी माँ माँ कह रही थी ।
उसकी आवाज़ सुन मैं आपना भविष्य देख रही थी ।
 
तभी बच्ची मुझ से बोली इतना कुए रोलती हो ।
क्या हुआ जो इतना दुखी रहती हो ।

बच्ची की आवाज़ सुनके मैं कुछ ना बोल सकी ।
उसके इन शब्दो के मोल को ना तोल सकी ।
तभी बच्ची हँसी और कहती तू हिन्दी है ना ।
मेरी स्टोरी बुक्स की रानी है ना ।
 
आज तेली आवाज़ को मैं आगे लेकर जाऊंगी ।
तू रो मत मैं तेरी सहेली बन जाऊंगी ।
 
उसकी बात सुन मैं खूब हस दी ।
मेरा क्या अस्तित्व आज मैं समझ सकी ।
 
उस नन्ही सी पारी ने मुझे सब समझा दिया ।
मेरा अस्तित्व यह बच्चे आज मुझे उसने समझा दिया ।


 
 
प्रतीक सक्सेना

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