आज फिर पुरानी बात याद आ गई (कविता)
Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Apr, 2018 02:07 PM
आज फिर पुरानी बात याद आ गई साथ तेरे पहली बरसात याद आ...
आज फिर पुरानी बात याद आ गई
साथ तेरे पहली बरसात याद आ गई
वो कसमे, वो रस्में, वो #वादे और
वो हसीन लम्हे चाहत के याद आ गए
कभी हर दिन नया, शाम सुहानी थी
हाथ में चाय, कानों में गज़ल रूमानी थी
रात छत पे तारे गिनते थे साथ हम तुम
घंटों बात करते थे बिना बात हम तुम
माना ज़िंदगी की ज़रूरतें भी ज़रूरी हैं
साथ ज़माने के चलना एक मजबूरी हैं
पर क्या कुछ पल अपने लिए मुमकिन नहीं
दो पल चुरा लूँ ज़िंदगी से ये मुमकिन नहीं
संगीता