World Environment Day : 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर कुछ विशेष लेख

Edited By Riya bawa,Updated: 05 Jun, 2020 02:39 PM

world environment day environment day is celebrated on 5 june

विश्व पर्यावरण दिवस लगभग 100 से अधिक देशों के लोगों के द्वारा 5 जून को मनाया जाता है| इस दिन पूरी दुनिया में पर्यावरण से जुड़ी अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। मानव और पर्यावरण एक-दूसरे ...

विश्व पर्यावरण दिवस लगभग 100 से अधिक देशों के लोगों के द्वारा 5 जून को मनाया जाता है| इस दिन पूरी दुनिया में पर्यावरण से जुड़ी अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। मानव और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं| पर्यावरण सुरक्षा के उपायों को लागू करने के लिए हर उम्र के लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है। पेड़-पौधे लगाना, साफ-सफाई अभियान, रीसाइकलिंग, सौर ऊर्जा, बायो गैस, बायो खाद, सीएनजी वाले वाहनों का इस्तेमाल, रेन वॉटर
हार्वेस्टिंग जैसी तकनीक अपनाने पर बल दिया जाता है। सड़क रैलियों, नुक्कड़ नाटकों या बैनरों से ही नहीं, एसएमएस, फेसबुक, ट्विटर, ईमेल के जरिये लोगों को जागरूक किया जाता है। स्कूलों में बच्चों के लिए पेंटिंग, वाद-विवाद, निबंध-लेखन जैसी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

जैसे-जैसे शहर विकसित हो रहे हैं, हरियाली कम और कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं। हर साल प्रदूषण के मामले में बढ़ोतरी हो रही है। नवंबर-दिसंबर माह में प्रदूषण की वजह से मौत के आंकड़े भी बढ़ जाते हैं। प्रदूषण लगातार हमारी सांसें कम कर रहा है। नए पैदा होने वाले कई बच्चों पर इसका असर भी दिख रहा है। भारत की सत्तर प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। अब वह भी शहरों में पलायन हेतु आतुर है जबकि शहरी जीवन नारकीय हो चला है। शहरों में
हरियाली का नामोनिशान नहीं है, बहुमंजिली इमारतों के जंगल पसरते जा रहे हैं। वहाँ अच्छी सड़कें, आवागमन के साधन, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल व अन्य आवश्यक सुविधाएं सुलभ हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की गई थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था।1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव
पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया। 1987 में इसके केंद्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है। इसमें हर साल 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यवसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं।  

पृथ्वी के सभी प्राणी एक-दूसरे पर निर्भर है तथा प्रत्येक पदार्थ एक-दूसरे से प्रभावित होता है। इसलिए और भी आवश्यक हो जाता है कि प्रकृति की इन सभी वस्तुओं के बीच आवश्यक संतुलन को बनाये रखा जाये। इस 21वीं सदी में जिस प्रकार से हम औद्योगिक विकास और भौतिक समृद्धि की ओर बढ़े चले जा रहे हैं, वह पर्यावरण संतुलन को समाप्त करता जा रहा है। अनेकानेक उद्योग-धंधों, वाहनों तथा अन्यान्य मशीनी उपकरणों द्वारा हम हर घड़ी जल और वायु को प्रदूषित करते रहते हैं। वायुमंडल में बड़े पैमाने पर लगातार विभिन्न घटक औद्योगिक गैसों के छोड़े जाने से पर्यावरण संतुलन पर अत्यंत विपरीत प्रभाव पड़ता रहता है। मुख्यतः पर्यावरण के प्रदूषित होने के मुख्य कारण हैं - निरंतर बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण, वाहनों द्वारा छोड़ा जाने वाला धुआँ, नदियों, तालाबों में गिरता हुआ कूड़ा-कचरा, वनों का कटान, खेतों में रसायनों का असंतुलित प्रयोग, पहाड़ों में चट्टानों का खिसकाना, मिट्टी का कटानआदि। हमारी धरती पर पिछले कुछ सालों में भूकंप, बाढ़, सूनामी जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।

प्रकृति की इन आपदाओं में जान-माल का खूब नुकसान होता है। दरअसल, हमारी धरती के ईको-सिस्टम में आए बदलावों और तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही ये सब हो रहाहै। अगर यही हाल रहा तो 2030 तक हमें रहने के लिए दूसरे प्लेनेट की जरूरत होगी। दिल्ली में हर तरह के प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है। सबसे अधिक प्रदूषण हवा में है। सड़क पर उड़ती धूल, उद्योग, वाहनों का धुआं इतना अधिक है कि अब सुबह के समय ताजी
हवा में भी प्रदूषण पाया गया है। यहां बड़ी संख्या में निकलने वाले कूड़े को रीसाइकिल करना भी काफी मुश्किल भरा काम है। इसके अलावा ध्वनि और जल प्रदूषण भी चरम पर है। लोगों को भी इसमें योगदान देना है, इसके लिए वो अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें। सड़क पर कूड़ा ना फेंके, कूड़ा रीसाइकल के लिए भेजें। प्लास्टिक, पेपर, ई-कचरे के लिए बने अलग- अलग कूड़ेदान में कूड़ा डाले ताकि वह आसानी से रीसाइकल के लिए जा सके। वाहन चालक निजी वाहन की बजाय कार-पूलिंग, गाडियों, बस या ट्रेन का उपयोग करें। कम दूरी के लिए साइकिल चलाना पर्यावरण और सेहत के लिहाज से बेहतर है। गमलों में लगे पौधों को बॉल्टी-मग्गे से पानी दें। अतः हमें संकल्प लेना चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाकर अपने पर्यावरण को बचायेंगे। 

(जीवन धीमान)

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