मानसून में देरी से पड़ सकता है सोयाबीन की पैदावार पर असर

Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Jun, 2019 01:42 PM

monsoon may be delayed due to soybean yields

मध्यप्रदेश में मानसून की आमद में करीब 10 दिन की देरी के पूर्वानुमान के बीच, खेती-किसानी के जानकारों का मानना है कि बारिश की खेंच से खरीफ के इस मौसम में सोयाबीन की पैदावार पर विपरीत असर पड़ सकता है।

इंदौर: मध्यप्रदेश में मानसून की आमद में करीब 10 दिन की देरी के पूर्वानुमान के बीच, खेती-किसानी के जानकारों का मानना है कि बारिश की खेंच से खरीफ के इस मौसम में सोयाबीन की पैदावार पर विपरीत असर पड़ सकता है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि मानसून 24 और 26 जून के बीच बालाघाट जिले से प्रदेश में दाखिल हो सकता है। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर मानसून हर साल 15 जून के आस-पास प्रदेश में पहला कदम रखता है। मध्यप्रदेश, देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक है। इस बीच, कृषि विशेषज्ञ जीएस कौशल ने कहा कि प्रदेश में इस बार भीषण गर्मी से कई जलस्त्रोत सूख चुके हैं और खेतों में नमी की भारी कमी हो गयी है।

मानसून की आमद में देरी से स्थिति और खराब होगी। इस देरी से सोयाबीन की फसल को वर्षा वाले दिन कम मिलेंगे। इससे सोयाबीन के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा।" प्रदेश के कृषि विभाग के पूर्व निदेशक ने कहा, "प्रदेश में मानसून के आगमन में ज्यादा देरी हुई, तो मेरा अनुमान है कि खरीफ के इस मौसम में सोयाबीन का उत्पादन करीब 10 प्रतिशत गिर सकता है।" इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के निदेशक वीएस भाटिया ने कहा कि अगर 10 जुलाई तक प्रदेश भर में मानसून की अच्छी बारिश नहीं होती है, तो सोयाबीन उत्पादन पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "अगर 25 जून तक मानसून प्रदेश में आ जाता है, तो जुलाई के पहले हफ्ते में सोयाबीन की बुआई शुरू हो जायेगी।" प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2018 के पिछले खरीफ सत्र में इस तिलहन फसल की पैदावार 59.17 लाख टन रही थी।

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