Edited By Tanuja,Updated: 02 Sep, 2018 05:54 PM
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए एक नया तरीका विकसित किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके माध्यम से कम समय में सौर तूफान का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है...
बर्लिन: पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए एक नया तरीका विकसित किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके माध्यम से कम समय में सौर तूफान का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। पत्रिका ‘चैओस’ में प्रकाशित अनुसंधान के अनुसार, धरती के चुंबकीय क्षेत्र का ध्रुव से ध्रुव तक विस्तार होता है और यह सूर्य से चलने वाली सौर तरंगों से बहुत प्रभावित होता है।
इसमें सूरज की सतह से आवेशित कणों का प्रवाह होता है। जर्मनी स्थित पोस्टडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि सूरज की चमक बढ़ने के दौरान इस तूफान में और कण मिल जाते हैं। कई बार चमक बढ़ने के बाद प्रवाह के दौरान प्लाजमा अंतरिक्ष में भी जाता है। इस दौरान आवेशित कण सूरज से धरती तक लाखों किलोमीटर की दूरी तय करते हैं।
सौर तूफान का गंभीर असर पड़ता है और इससे जीपीएस तकनीक तथा संचार उपग्रह वाली तकनीक प्रभावित होती है। यह इलेक्ट्रिकल ग्रिड को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह अनियमित होता है जिससे ऐसे तूफान का अंदाजा लगाना कठिन हो जाता है। पोस्टडैम इंस्टिट्यूट में अनुसंधानकर्ताओं ने सौर तूफान के बेहतर पूर्वानुमान लिए नयी पद्धति विकसित की है।