विश्व के 15 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में

Edited By Pardeep,Updated: 31 Dec, 2018 03:52 AM

14 of the 15 most polluted cities in the world

पांच साल तक के छोटे बच्चों का दिल्ली की अत्यधिक प्रदूषित वायु से अपने फेफड़ों की सुरक्षा के लिए मास्क पहन कर स्कूल जाना पुरानी खबर है। ​​​​​​​अस्थमा तथा अन्य श्वसन समस्याओं से बीमार बच्चों से अस्पतालों का भर जाना, घर में बंद रहने को मजबूर हो जाना,...

पांच साल तक के छोटे बच्चों का दिल्ली की अत्यधिक प्रदूषित वायु से अपने फेफड़ों की सुरक्षा के लिए मास्क पहन कर स्कूल जाना पुरानी खबर है। 

अस्थमा तथा अन्य श्वसन समस्याओं से बीमार बच्चों से अस्पतालों का भर जाना, घर में बंद रहने को मजबूर हो जाना, बाहर खेलने न जाने की सलाह दिया जाना, नेबूलाइजर तथा भाप से लेकर स्टीरॉयड तथा एंटी-एलर्जी सिरप पीने को विवश होना भी दिल्ली में बात करने लायक कोई नई खबर नहीं है क्योंकि कहते हैं कि ठंडा मौसम अपने साथ अस्थमा तथा ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं तो लाता ही है! 

साथ ही धुएं तथा स्मोग से भरी सर्दी भी कोई नई खबर नहीं है क्योंकि गत 4 सालों से हर साल इसके बारे में कितने ही लेख छपते रहे हैं और अब तो हवा की गुणवत्ता बताने वाले एयर क्वालिटी बोडर््स भी शहर भर में लगा दिए गए हैं। हालांकि 2.5 का स्तर कभी भी बहुत खतरनाक से ऊपर नहीं गया। ऐसे में बात करते हैं मुम्बई के औद्योगिक उपनगरीय इलाके माहुल में रहने वाले लाखों लोगों की, जिनकी सेहत पर प्रदूषण का बेहद खराब असर हो रहा है। 2017 में अवैध झुग्गी बस्तियों को ध्वस्त किए जाने के बाद 5000 परिवारों के लगभग 50 हजार सदस्यों को अस्थायी रूप से इस वायदे के साथ यहां बसाया गया कि उन्हें मुम्बई के किसी अन्य उपनगर में घर दिए जाएंगे। 

माहुल कभी मछुआरों का गांव हुआ करता था परंतु अब यह तेल तथा पैट्रोलियम रिफाइनरियों, कैमिकल तथा फर्टीलाइजर प्लांट्स के करीब है। इससे यहां रहने वालों में अब त्वचा रोग, टी.बी. तथा ब्लडप्रैशर जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुत बढ़ गई हैं। इससे भी अधिक ङ्क्षचता की बात यह है कि तीन अलग-अलग सर्वेक्षणों में स्थानीय म्युनिसिपल अथॉरिटी का कहना है कि माहुल में प्रदूषण का स्तर मुम्बई के अन्य स्थलों जैसा ही है। अब तो चंडीगढ़ भी इस सूची में शामिल हो गया है। हर साल अपने निकटतम महानगरों में प्रवास करने वाले लाखों लोग पहले से प्रदूषण की मार झेल रहे उन महानगरों की जनसंख्या में अपना नाम शामिल कर लेते हैं। 

इसके बावजूद क्या यह समाचार नहीं है कि अक्तूबर मास में विश्व भर में हवा की क्वालिटी का पता लगाने के लिए छोड़े गए यूरोप के सैंटीनल एस.पी. उपग्रह ने यह जानकारी दी थी कि भारत तथा इसके आसपास के दक्षिण एशिया के देशों में बहने वाली हवा में कुछ बहुत खास है। यह खास चीज है फोरमालडीहाईड नामक एक रंगहीन गैस जो कुदरती तौर पर वनस्पति द्वारा नि:सृत किए जाने के अलावा घरों में खाना पकाने तथा गर्माहट के लिए प्रयुक्त होने वाले घटिया ईंधन और लकड़ी तथा कोयले के जलने से पैदा होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व व्यापी वायु प्रदूषण डाटा बेस के अनुसार विश्व के 15 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं, जिनमें वाराणसी, गया, पटना, कानपुर तथा लखनऊ शामिल हैं। आंकड़े चाहे जो भी कहते हों, भारत के लोगों द्वारा ली जाने वाली प्रत्येक सांस को पता है कि यह सच है। 

तो फिर इसका दीर्घकालिक प्रभावी समाधान क्यों नहीं खोजा जाता? आने वाले चुनावों के शोर में हर दूसरा मुद्दा चुनावी एजैंडा में जोड़ा जा रहा है लेकिन किसी भी पार्टी ने अपने एजैंडे में हवा की गुणवत्ता सुधारने की बात शामिल नहीं की है। आश्चर्यजनक रूप से लगभग 10 वर्ष पूर्व बीजिंग में भी दिल्ली जैसी ही स्थिति थी परंतु अब इसकी हवा की क्वालिटी तेजी से सुधर रही है। चीन में 7 राज्यों के मेयरों को इस संबंध में तलब करके उन्हें प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए अपनाए जाने वाले पगों की सूची दी गई थी और यह सूची विनम्र सलाह के रूप में न होकर आदेश के रूप में थी जिसका अनिवार्य रूप से पालन न करने पर उसके लिए मेयर को जवाबदेह ठहराए जाने का प्रावधान किया गया था। 

तो फिर भारतीय राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें हवा की क्वालिटी सुधारने की दिशा में क्यों स्पष्टï पहलकदमी नहीं कर रहीं? जब तक हमारी सरकारें जागें, तब तक भारतीयों को संयुक्त राष्टï्र द्वारा प्रस्तावित कुछ छोटे-छोटे पग उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारा कार्बन उत्सर्जन कम हो सके : 
1. मांस का सेवन कम करें क्योंकि कृषि कार्यों से नि:सृत ग्रीन हाऊस गैसें जीवाश्म ईंधन से अधिक होती हैं और 10 गुणा ज्यादा पानी का 
इस्तेमाल होता है।
2. बगीचा लगाएं, स्थानीय तौर पर सब्जियां उगाएं। 
3. प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल न करें।
4. अपने उपकरणों को ‘अनप्लग’ कर दें। सभी इलैक्ट्रानिक्स उपकरण भले ही वे चार्ज किए हुए हों, प्लग लगा होने पर बिजली खींचते हैं। 
5. पैदल चलें और साइकिल ज्यादा चलाएं।         

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