भारत में अग्निकांडों से हो रही प्रतिदिन 62 मौतें

Edited By ,Updated: 29 May, 2019 01:33 AM

62 deaths per day from fire in india

अग्निकांडों से हमारे देश में औसतन प्रतिदिन 62 लोगों की जान जाती है परंतु इसके बावजूद हमारी सरकार ने अग्निकांडों से बचाव के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए। अग्निकांडों के पीड़ितों को समय रहते न्याय भी नहीं मिल पाता। अब 24 मई को सूरत में अग्निशमन नियमों की...

अग्निकांडों से हमारे देश में औसतन प्रतिदिन 62 लोगों की जान जाती है परंतु इसके बावजूद हमारी सरकार ने अग्निकांडों से बचाव के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए। अग्निकांडों के पीड़ितों को समय रहते न्याय भी नहीं मिल पाता। अब 24 मई को सूरत में अग्निशमन नियमों की उपेक्षा कर चलाए जा रहे कोचिंग सैंटर में लगी भयानक आग के कारण वहां पढ़ रहे 23 मासूम बच्चों की मृत्यु ने एक बार फिर सरकार का ध्यान इस ओर खींचा है। 

आग बुझाने संबंधी प्रबंधों के अधूरेपन का संकेत तो इसी से मिल जाता है कि स्वयं गुजरात के मुख्य सचिव जे.एन. सिंह ने स्वीकार किया है कि ‘‘उक्त अग्निकांड का मुकाबला करने के मामले में हमारी सीमाएं थीं।’’ हमेशा की तरह इस बार भी आनन-फानन में लगभग सभी राज्यों की सरकारों ने अपने यहां चल रहे कोचिंग सैंटरों और अन्य इमारतों में आग से बचाव संबंधी प्रबंधों की जांच का आदेश दे दिया है जिनमें से ज्यादातर में आग से सुरक्षा संबंधी निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया। 

इस बारे 22 वर्ष पूर्व हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड, जिसमें 59 निर्दोष लोग मारे गए थे, में अपने 2 बच्चे खोने वाली  ‘एसोसिएशन आफ विक्टिम्स आफ उपहार ट्रैजेडी’ की संयोजक नीलम कृष्णामूर्ति का कहना है कि  ‘‘जमीनी तौर पर तो हमारे देश में इमारतों के निर्माण और सुरक्षा संबंधी कानून मौजूद हैं लेकिन हैं यह कागजों पर ही।’’ 

‘‘न्याय प्राप्त करना एक अय्याशी बन चुका है जो केवल अमीरों, शक्तिशालियों और भ्रष्टï लोगों को ही उपलब्ध है। इसी कारण ऐसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। हमारे देश में न सिर्फ अग्नि से सुरक्षा की संस्कृति नहीं है बल्कि लोग एक से अधिक निकासी द्वार बनाने और उचित मूल्य पर उपलब्ध अग्निशमन यंत्र और अलार्म खरीदने की भी परवाह नहीं करते।’’ ‘‘इसके अलावा लोगों में अग्नि पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता का भी अभाव है। सूरत के अग्निकांड के दौरान अनेक लोग पीड़ितों की सहायता करने की बजाय उनके वीडियो बनाते रहे।’’ 

श्रीमती कृष्णामूर्ति का कहना है कि ‘‘प्रत्येक अग्निकांड के बाद सरकार पीड़ितों के लिए अनुग्रह राशि की घोषणा करती है। हमारे राजनीतिज्ञ इसी राशि का इस्तेमाल अग्निशमन का उपाय करने और इसके लिए जरूरी उपकरण खरीदने में क्यों नहीं करते?’’—विजय कुमार  

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