Edited By ,Updated: 09 Jun, 2019 03:10 AM
विश्व में समय-समय पर अनेक बीमारियां महामारी की तरह फैलती रहती हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोग मृत्यु का ग्रास बनते हैं। इन बीमारियों में से अनेक बीमारियों के विषाणु हमारे शरीर में पशुओं के माध्यम से पहुंचते हैं, इन्हीं में से एक रोग है ‘निपाह’। सबसे...
विश्व में समय-समय पर अनेक बीमारियां महामारी की तरह फैलती रहती हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोग मृत्यु का ग्रास बनते हैं। इन बीमारियों में से अनेक बीमारियों के विषाणु हमारे शरीर में पशुओं के माध्यम से पहुंचते हैं, इन्हीं में से एक रोग है ‘निपाह’।
सबसे पहले निपाह (एन.आई.वी.) विषाणु (वायरस) की पहचान सितम्बर,1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह नामक स्थान पर हुई थी। तब यह सूअरों में फैला था और इसके परिणामस्वरूप सितम्बर, 1998 से अप्रैल, 1999 के बीच वहां 105 लोगों की मौत हो गई थी। भारत में सबसे पहले यह 2001 तथा 2007 में बंगाल के सिलीगुड़ी तथा नदिया में फैला जब कुछ लोगों ने चमगादड़ों द्वारा संक्रमित खजूर का रस पी लिया था जिस कारण कुल 50 लोगों की मृत्यु हो गई थी। यह 2004 में बंगलादेश को भी अपना शिकार बना चुका है।
गत वर्ष रहस्यमय और अत्यंत घातक ‘निपाह’ वायरस ने भारत के केरल में धावा बोला और इसकी चपेट में आने से गैर सरकारी सूत्रों के अनुसार वहां 16 लोगों की मृत्यु हो गई थी। अब इस वर्ष एक बार फिर इस रोग ने केरल में धावा बोल दिया हैै तथा एक युवक के इस रोग के विषाणु की चपेट में आने के कुछ दिन बाद कर्नाटक सरकार ने केरल के साथ लगने वाले 8 जिलों में अलर्ट घोषित कर दिया है। जानकारों के अनुसार इस वायरस का चिंताजनक पहलू यह है कि यह वायरस अत्यंत तीव्र गति से संक्रमण फैला कर भारी प्राणहानि का कारण बन सकता है लिहाजा इसकी रोकथाम के लिए आपातकालीन स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार