गुजरात में पूरा मंत्रिमंडल बदला भाजपा का एक नया प्रयोग

Edited By ,Updated: 18 Sep, 2021 04:05 AM

a new experiment of bjp changed the entire cabinet in gujarat

अगले वर्ष के शुरू में पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा तथा मणिपुर और वर्ष के अंत में गुजरात व हिमाचल में संभावित चुनावों के दृष्टिïगत सत्तारूढ़ और विरोधी दल अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए प्रयत्नशील हैं। इसी क्रम में गुजरात में 11 सितम्बर को...

अगले वर्ष के शुरू में पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा तथा मणिपुर और वर्ष के अंत में गुजरात व हिमाचल में संभावित चुनावों के दृष्टिïगत सत्तारूढ़ और विरोधी दल अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए प्रयत्नशील हैं। इसी क्रम में गुजरात में 11 सितम्बर को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अचानक त्यागपत्र के बाद भाजपा ने पहली बार के विधायक भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी जो इससे पहले कभी मंत्री भी नहीं रहे थे। 

पहले भूपेंद्र पटेल का शपथ ग्रहण 15 सितम्बर को होना था परंतु विजय रूपाणी व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल सहित कई मंत्रियों की नाराजगी के कारण इसे 16 सितम्बर तक टालना पड़ा और 16 सितम्बर को विजय रूपाणी की 22 मंत्रियों पर आधारित पूरी टीम की छुट्टी करके मुख्यमंत्री सहित 24 नए मंत्रियों की टीम का गठन किया गया। 

भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने का सबसे बड़ा कारण भाजपा से पाटीदार समुदाय की नाराजगी बताई जाती है क्योंकि 2017 के चुनावों में पाटीदार समुदाय की नाराजगी के कारण ही भाजपा को काफी नुक्सान उठाना पड़ा था। भूपेंद्र पटेल ‘कडवा पटेल’ हैं जिनकी पाटीदार समुदाय में अच्छी पहुंच है तथा पाटीदार समुदाय का राज्य की लगभग 71 सीटों पर प्रभाव हैै। 

ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा ने सरकार के विरुद्ध पाटीदार समुदाय की नाराजगी और सत्ता विरोधी लहर की काट के लिए यह कदम उठाया है तथा कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 7 मंत्री पटेल समुदाय से शामिल किए गए हैं। पार्टी को आशा है कि  ‘दोहराव नहीं’ (नो रिपिटीशन) का यह फार्मूला अगले विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए फायदेमंद सिद्ध होगा। केंद्रीय मंत्री तथा पार्टी के गुजरात प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा है कि यह प्रयोग भाजपा द्वारा दूसरे राज्यों में भी आजमाया जा सकता है। 

हम लिखते रहते हैं कि चुनाव पांच वर्ष की बजाय अमरीका, कनाडा और जर्मनी जैसे विकसित देशों की भांति प्रत्येक चार वर्ष के बाद ही होने चाहिएं। इससे जहां पहला वर्ष सरकारों को अपना कामकाज समझने में लग जाएगा वहीं चौथा वर्ष अपनी सरकार बचाने के लिए जनता को सुविधाएं व रियायतें देने में लगेगा। इससे सरकारों के काम में चुस्ती आएगी, लोगों को सुविधाएं मिलेंगी, उनके काम जल्दी होने लगेंगे, प्रदेशों के विकास में तेजी आएगी और पार्टियों की छवि में सुधार होगा।—विजय कुमार 

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